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उदयपुर. यहां हवाला गांव स्थित ग्रामीण शिल्प एवं कला परिसर शिल्पग्राम में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘‘राष्ट्रीय मृण शिल्प कार्यशाला’’ गुरूवार को प्रारम्भ हुई। इस अवसर पर प्रतिभागी मृदा कला शिल्पियों ने गणपति प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर तथा चाक पूजन कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया।
देश के विभिन्न क्षेत्रों में मिट्टी कला में कार्य करने वाले शिल्पकारों को एक मंच पर एकत्र कर उनमें शैलिगत तथा तकनीकी आदान-प्रदान के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला में 14 राज्यों के तीस मृदा शिल्पकार भाग ले रहे हैं। उद्घाटन अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आये मृदा शिल्पियों ने गोरखपुर के शिल्पकार द्वारा लाई गई गणपति प्रतिमा की पूजा कर चाक पर स्वस्तिकांकन कर पूजन किया। केन्द्र निदेशक श्री शैलेन्द्र दशोरा ने इस अवसर पर श्रीफल वधारा। बाद में शिल्पकारों ने चाक पर मिट्टी का लौंदा रख कर व चाक घुमा कर सुराही, फूलदान, हाथी का पैर आदि कृतियों का सृजन किया।
उद्घाटन के मौके पर शिल्पग्राम में आये मृदा शिल्पियों ने अपने अनुभव बांटते हुए पुश्तैनी कार्य पर चर्चा के साथ समय के साथ किये गये परिवर्तन पर चर्चा की। कार्यशाला में पारंपरिक मिट्टी कला साधकों के साथ मूर्ति शिल्पकार भी भाग ले रहे हैं। कार्यशाला में छत्तीसगढ़, गोरखपुर, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, झाखण्ड, ऑडीशा, असम, तमिलनाडु के मृदा शिल्पी भाग ले रहे हैं। इइसे पूर्व शिल्पकारों का पुष्प कलिका भेंट कर स्वागत किय गया तथा शिल्पकारों ने एक दूसरे की कलाई पर कलेवा बांध कर बंधुत्व का संदेश दिया।
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