उदयपुर। स्मार्ट सिटी के स्मार्ट निगम की पोल सोमवार को उस समय खुल गई। जब शहर के तितरड़ी इलाके में आग की सूचना मिली। जैसे ही निगम के कर्ताधर्ताओं के पास फोन आया है सभी लवाजमे के साथ आग बुझाने को निकल पड़े, लेकिन बिच रास्ते में ही दमकल में डीजल खत्म होने से रुक गयी। बाद में दूसरी दमकल को मोके पर भेजा गया। निगम के दमकल विभाग के जिम्मेदारों ने गलती स्वीकारी और कर्मचारियों को लताड़ लगाईं।
सोमवार दिन में तितरडी में आग लग गयी लोगों ने नगर निगम के अग्निशमन को कॉल किया कॉल आते ही अग्निशमन स्टेशन से निकली लेकिन बिच रास्ते में ही दमकल वाहन रुक गयी। जब जांच हुई तो पता चला कि दमकल वाहन में डीजल खत्म हो गया। कर्मचारी फ्यूल टेंक में फूंक मार कर दुपहिया वाहन की तरह चालु करने की कोशिश करने लगे लेकिन दमकल वाहन स्टार्ट नहीं हुआ आखिर आग लगने वाले जगह दूसरा दमकल वाहन भेजा गया। इधर डीजल खत्म होने से रुका दमकल वाहन आधे घंटे बाद डीजल आने के बाद ही शुरू हुआ। इस पूरे प्रकरण में सबसे हास्यास्प्रद बात तो यह रही कि एक भी जिम्मेदार जवाब देता नजर नहीं आया, इस पूरे घटनाक्रम के बारे में जब अषोक नगर स्थित गैराज भवन के कर्मचारी से पूछा तो सबकी बोलती बंद हो गयी, किसी ने कोई जवाब तक नहीं दिया। बाद म उपमहापौर लोकेश द्विवेदी ने गलती को इमानदारी के साथ स्वीकार करते हुए गैराज समिति के जय सिंह चैहान को से इस मामले की पूरी हकीकत जानी, जब उन्हें पता चला कि डीजल की कमी की वजह से फायर ब्रिगेड़ घटनास्थल पर नहीं पंहुची तो लोकेष द्विवेदी ने जमकर फटकार लगाई। किसकी लापरवाही की वजह से एसा हुआ यह उनके जांच का विषय है लेकिन सवाल यह खडा होता है कि इतने संवेदनशील विभाग में ईएसआई लापरवाही वह भी तब जब स्मार्ट सिटी के साथ फायर स्टेशन को भी स्मार्ट करने के लिए लाखों रुपया खर्च किया जारहा है।

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