ipl logo wallpapersउदयपुर, आईपीएल ने कई सटोरियों को कंगाल कर दिया है। अब इन्हें रुपया चुकाना मुश्किल हो रहा है। वहीं रुपया नहीं मिलने से बुकी भी बेहाल है और वसूली के लिए उन्होंने सटोरियों पर प्रेशर भी बढ़ा दिया है। ऐसे में ये सटोरिए ज्यादा ब्याज देकर मार्केट से उधार लेकर हिसाब चुकता कर रहे हैं। पता चला है कि ब्याज माफियाओं से सटोरिए 10 से 15 प्रतिशत मासिक ब्याज पर पैसा लेकर चुकाने की जुगत में लग गए हैं।

खाता (पर्ची) से चलता हैं खेल : आईपीएल क्रिकेट में बुकी बड़े सट्टेबाजों से मैचों में हार या जीत के रुपयों का हिसाब रोजना नहीं रखते हैं। क्रिकेट में बड़ा सट्टा लगाने वालों का बुकियों के यहां खाता (पर्ची) चलता है। हर मैच में हार-जीत का हिसाब उसी बही खाते में दर्ज होता रहता है और पूरी क्रिकेट स्पर्धा खत्म होने पर बही खातेनुसार बुकियों द्वारा रुपयों का लेनदेन होता है।

बाजार में उतरे वसूली दादा : आईपीएल टूर्नामेंट खत्म होते ही बुकी अपना रुपया लेने में जुट गए हैं। इसके लिए इन्होंने हारे हुए सटोरियों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। यहीं कारण है कि हारने वाले सटोरिए निजी फायनेंसरों यानी कि ब्याज माफियाआें से पैसा लेने के लिए चक्कर काट रहे हैं। इतना ही नहीं बुकी इन दिनों हारे हुए सटोरियों से रुपया वसूली के लिए गुंडों का साथ भी लेे रहे हैं। अगर कोई सटोरिया गुंडों और बुकियों से परेशान होकर पुलिस के पास चला भी जाता है, तो उसे वहां भी कोई मदद नहीं मिलती है। खाकीवर्दी पहने कुछ लोग पूरी तरह से बुकी और गुंडों का साथ ही देते हैं, क्योंकि इसकी एवज में पुलिस को भी अच्छी खासी रकम मिल जाती है। वह भी बिना कुछ किए। एेसे में सटोरियों के पास ब्याज पर रुपया लेने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।

यहां लगा रहे हैं सटोरिये चक्कर : शहर के घंटाघर, हाथीपोल भट्टीयानी चौहट्टा और गोवर्धन विलास क्षेत्र में सटोरिये चक्कर काटते नजर आ जाएंगे, क्योंकि इन इलाकों में ब्याज माफियाआें की बैठक है, जो खाली चैक और स्टांप के आधार पर रकम देने को तैयार हो जाते हैं और हो भी क्यों नहीं। इनको इसके लिए 10 से १५ प्रतिशत मासिक ब्याज जो मिलता है। अगर इनके पास कोई दलाल सटोरिये को लेकर आता है, तो उसे भी यह लोग एक-दो प्रतिशत ब्याज की रकम में से दे देते हैं, जिससे दलाल भी खुश रहे और इनका भी काम चलता रहे।

 

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