क्या नहीं होने चाहिए छात्र संघ चुनाव ? – सरकार ने चुनाव नहीं करवाने की सिफारिश

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उदयपुर .छात्रसंघ चुनावों के स्तर में दिनों-दिन हो रही गिरावट को देखते हुए छात्रसंघ सुधार को लेकर बनी कमेटी ने राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने की सिफारिश सरकार को भेजी है। प्रदेश में छात्रसंघ चुनावों के स्तर को सुधारने और अकादमिक पहलू को जोड़ने को लेकर सरकार की ओर से बनाई गई इस 7 सदस्यीय छात्रसंघ सुधार कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव को पूरी तरह खारिज कर दिया है। आम लोगों, समाज और बुद्धिजीवों से लिए गए सुझावों के आधार पर कमेटी ने ये रिपोर्ट बनाई है। कमेटी ने रिपोर्ट में तर्क दिया है कि जब उत्तरप्रदेश, हरियाणा सहित अन्य राज्यों में छात्रसंघ चुनाव नहीं हो रहे हैं और इससे उन प्रदेशों में शांति है तो फिर राजस्थान में इस प्रकार के चुनावों की क्या आवश्यकता है। लगभग दो माह के विचार-विमर्श के बाद कमेटी की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में चार प्रमुख सिफारिशें भेजी गई हैं। हालांकि कमेटी के अध्यक्ष सुविवि के कुलपति प्रो. जेपी शर्मा ने कहा कि हमारी सिफारिशों के आधार पर अगर सरकार दोबारा विचार करने को कहेगी तो इन्हीं पहलुओं पर विमर्श कर नई रिपोर्ट सौंपेंगे।

छात्र संघ में सुधार और चुनावों में अकादमिक पहलू को जोड़ने के लिए 5 मई को बनाई गई सात सदस्यीय छात्रसंघ सुधार कमेटी सदस्यों में प्रदेश के चार प्रमुख विवि राजस्थान विवि, सुखाडिय़ा विवि, एमडीएस विवि और जेएनवीयू विवि के कुलपति शामिल हैं। इसके अतिरिक्त डूंगर कॉलेज बीकानेर, जया कॉलेज भरतपुर और कोटा गवर्नमेंट कॉलेज के प्राचार्य को भी सदस्य बनाया गया है। कमेटी के अध्यक्ष सुविवि के कुलपति हैं।

#अन्य राज्यों में छात्रसंघ चुनाव नहीं होने के बाद भी माहौल अच्छा है तो राजस्थान में चुनाव नहीं होने चाहिएं।

#यूनिवर्सिटी या कॉलेज में अगर छात्रनेता बनाने हों तो छात्रों की अकादमिक योग्यता के आधार पर 10-12 छात्रों की एक टीम बना दी जाए, जो छात्रहित में कार्य करें।

#किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में कुलपति शिक्षकों की एक टीम तैयार करें जिसके मार्गदर्शन में छात्रनेता या छात्रों का दल काम करें और छात्रों के हित में जो भी आवश्यक्ताएं हों उन्हें पूरी करवाएं।

#चुनाव में सिर्फ अध्यक्ष पद पर चुनाव हों जबकि अन्य तीन पदों पर खुद अध्यक्ष काबिल छात्रों को मनोनीत कर लें।

#लिंगदोह कमेटी के नियमानुसार पर्यावरण, स्वच्छता, साक्षरता सहित अन्य सामाजिक कार्यों से छात्रसंघ को जोड़ा जाए, इनके बजट में इस प्रकार के कार्य करने का भी प्रावधान हों।

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