इसी स्कूल के पास छाया है भूत का साया।
इसी स्कूल के पास छाया है भूत का साया।

राजसमंद. शहर के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में इन दिनों अजीब सी दहशत छायी हुई है। तीन दिन की छुट्टी के बाद मंगलवार को स्कूल खुला तो 122 में से 35 बच्चे ही पढ़ने आए। बच्चे ही नहीं अभिभावक और स्टाफ भी दहशत में है। यह सब हुआ है कि एक अफवाह से।

अफवाह ये कि स्कूल के पास श्मशान होने से भूत का साया है। सभी का डर इससे और बढ़ गया कि यहां पढ़ने वाली सातवीं कक्षा की एक छात्रा की 14 दिन तक बीमार रहने के बाद मौत हो गई। छोटी बहन भी बीमार है। मौत की वजह डॉक्टर भले ही और बता रहे हैं, लेकिन परिजन इसे ऊपरी हवा बता रहे हैं, जिससे अफवाहें और दहशत बढ़ती ही जा रही है। स्कूल प्रशासन बच्चों और अभिभावकों का वहम दूर करने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठा पाया है।
जानकारी के मुताबिक शहर से 15 किमी दूर स्थित बागोटा के इस स्कूल में पढ़ने वाली पिंकी उर्फ प्रियंका (13) पुत्री विजयसिंह राठौड़ की गत 29 अगस्त को मौत हो गई थी। छोटी बहन खुशी कुंवर (5) भी बीमार है। परिजनों का कहना है कि पिंकी 15 अगस्त को अंतिम बार स्कूल गई थी। इसके बाद दोनों बहनें बीमार हो गई थी। पिंकी की मौत के बाद खुशी की हालत भी वैसी ही है।
मृतका पिंकी
मृतका पिंकी

वहम: स्कूल के पीछे कुछ दिखा था
परिजनों के मुताबिक 15 अगस्त को पिंकी लघुशंका के लिए स्कूल के पीछे गई थी। दावा किया कि उसने कुत्ते को भैंस बनते देखा था। इसके बाद वो चिल्लाते हुए स्कूल से भाग आई थी। अगले दिन पिंकी व आंगनवाड़ी केंद्र में पढऩे वाली उसकी छोटी बहन खुशी बीमार रहने लगी। पिंकी कभी चिल्लाती तो कभी शरीर या बिस्तर पर काटती थी। परिजनों का कहना था कि पिंकी इतनी डरी हुई थी कि उसने आंखें खोलना ही बंद कर दिया था। वह डर के मारे केवल चिल्लाती थी। यही स्थिति उसकी छोटी बहन की भी है।

हकीकत : सहेलियों को कुछ नहीं दिखा
पिंकी ने जब ये बात सहेलियों को बताई तो किसी को यकीं नहीं हुआ था। सहेलियां भी स्कूल के पीछे गई लेकिन उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया। बरसों से स्कूल चल रहा है, लेकिन पहले न बच्चों न स्टाफ ने ऐसा कुछ देखा न इस तरह की अनहोनी नहीं हुई। परिजन मनोवैज्ञानिक या डॉक्टर को दिखाने से पहले झाड़ फूंक करवाते रहे। कई दिन बाद अस्पताल भी ले गए तो पूरा इलाज करवाने की बजाय घर ले आए।
श्मशान की वजह से है अंधविश्वास
इसी स्कूल के पूर्व विद्यार्थी मित्र भगवतसिंह राठौड़ का कहना है कि वर्ष 2009 में मंजू सालवी नाम की छात्रा प्रार्थना सभा में खड़ी-खड़ी चिल्लाने लगी थी। वर्ष 2014 में सीमा नाम की छात्रा अजीब सी हरकतें करनी लगी थी। दोनों कई दिन बीमार रही। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल के पास दो श्मशान हैं। छात्रा जीतू कंवर ने कहा कि अब स्कूल जाने से डर लगता है। छात्र राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि वो स्कूल नहीं जा रहा है। छात्रा सीता कुंवर ने कहा कि माता-पिता ने ही उसे स्कूल जाने से मना किया है।
पूरा इलाज करवाते तो बच सकती थी जान
प्रियंका और उसकी छोटी बहन खुशी को जब आरके अस्पताल लाया गया तब दोनों को बुखार, पेट दर्द व उल्टी दस्त की शिकायत थी। प्रियंका की हालत ज्यादा गंभीर थी। वो चिल्ला रही थी। इलाज के बाद उल्टी दस्त ठीक हो गई, लेकिन मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। अज्ञात डर की वजह से मानसिक संतुलन बिगडऩे के कारण उसकी यह हालत हो रही थी। परिजन जादू टोना पर ज्यादा विश्वास कर रहे थे। तीसरे दिन प्रियंका को वापस घर ले गए थे। सभी जांचें करवाते, पूरा इलाज लेते तो शायद पिंकी की जान बच सकती थी।
स्कूल में भूत होने की बात को लेकर ग्रामीणों में अंधविश्वास फैला हुआ है। छात्रा की मौत के बाद स्कूल में बच्चे आने से डरते हैं।
-कांतिलाल यादव, कार्यवाहक, प्रधानाध्यापक
अंधविश्वास पर किसने क्या-कहा
मुझे इस संबंध में जानकारी नहीं है। यदि ऐसी बात है तो मौका मुआयना किया जाएगा। ग्रामीणों से बातचीत की जाएगी। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। बुधवार को मौके पर जाकर जानकारी लूंगा। श्मशान की वजह से ग्रामीण डर रहे होंगे।
-युगल बिहारी दाधीच, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक
अंधविश्वास पर किसने क्या-कहा
गांव में अंधविश्वास की जानकारी मिली है। इसको लेकर ग्रामीणों के साथ बैठकर चर्चा की जाएगी। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
-भैरूलाल जोशी, सरपंच, सांगठकला ग्राम पंचायत
लोगों का अंधविश्वास दूर करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों द्वारा स्कूलों में काउंसलिंग के कार्यक्रम करने चाहिए। ताकि लोगों का अंधविश्वास दूर हो सके। -राकेश तैलंग, शिक्षाविद, राजसमंद।
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