अहमदाबाद के इन स्कूल में बच्चे अच्छा इंसान नहीं हिन्दू – मुस्लिम बनने आते है

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saffron-uniformउदयपुर । मां-बाप अपने बच्चों को अच्छा और काबिल इंसान बनाने के लिए स्कूल भेजते है । मासूम बच्चे अपने धर्म से अनजान अपनी मासूमियत लिए स्कूल की तरफ आते है, जिन्हे ये भी ठीक से नहीं पता होता है कि हिन्दू क्या होता है और मुसलमान कौन होता है। लेकिन फिरका परस्त लोगों को बच्चों की ये मासूमियत आखों में खटक गयी, और इन बच्चों के दिमाग में अपनी जलील और घटिया सोच का ज़हर भरना शुरू कर दिया । ये घटिया और जलील हरकत अहमदाबाद के म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एमसी) ने अपने द्वारा संचालित दो स्कूल में की है।
जिस स्कूल में हिन्दू बच्चे ज्यादा थे उनको भगवा यूनिफार्म पहना दी और जिस स्कूल में मुस्लिम बच्चे ज्यादा थे उनको हरी यूनिफार्म पहना कर उन्हें ये अहसास दिला दिया की तुम हिन्दू और तुम मुस्लिम हो और तुम एक नहीं अलग – अलग हो।

अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एमसी) के शाहपुर पब्लिक स्कूल और दानी लिम्डा पब्लिक स्कूल इस मामले में खास हैं कि ये दोनों इंग्लिश मीडियम स्कूल हैं। इसके बावजूद इन दोनों स्कूलों में फर्क साफ दिखता है। शाहपुर स्कूल में पढ़ने वाले लगभग स्टू़डेंट्स हिन्दू हैं और इनके यूनिफॉर्म भगवा कलर के हैं। दूसरी तरफ दानी लिम्डा स्कूल में पढ़ने वाले लगभग स्टूडेंट्स मुस्लिम हैं और इनके यूनिफॉर्म ग्रीन कलर के हैं।

एएमसी इन दोनों स्कूलों के अलावा 454 और स्कूलों को चलाता है। ये सारे स्कूल नॉन-इंग्लिश मीडियम के हैं। इन सारे स्कूलों के यूनिफॉर्म ब्लू और वाइट हैं। एएमसी स्कूल बोर्ड के चेयरमैन जगदीश भवसार ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘दानी लिम्डा स्कूल में ग्रीन यूनिफॉर्म का चयन किसी खास वजह से नहीं है। इसका किसी खास समुदाय से भी संबंध नहीं है। हमलोग के पास गुलाबी और ब्लू के भी विकल्प थे लेकिन फिर लगा कि बच्चों पर ये कलर बहुत जंचते नहीं। ऐसे में ग्रीन कलर पर अंतिम मुहर लगी।’ उन्होंने कहा कि शाहपुर स्कूल में भगवा कलर का भी चयन गैर पक्षपातपूर्ण है। भवसार ने कहा कि भगवा रंग के चयन में कोई पूर्वाग्रह या वरीयता जैसी बात नहीं है।

भवसार से पूछा गया कि क्या यूनिफॉर्म के कलर चयन में कहीं से भी मजहब का भी खयाल रखा गया? इस पर उन्होंने कहा कि यहां कलर को कम्युनिटी से जोड़कर नहीं देखें क्योंकि ऐसा सोचकर यूनिफॉर्म के कलर का चयन नहीं किया गया है। दानी लिम्डा गांव में कानुभाई नी चाली स्लम मुस्लिम बहुल है। स्कूल भी यहीं स्थित है। इस स्कूल में 98 पर्सेंट स्टूडेंट्स मुस्लिम हैं। दूसरी तरफ शापहुर पब्लिक स्कूल में 95 पर्सेंट स्टूडेंट्स हिन्दू हैं।

एएमसी ने अपने स्कूलों में घटते नामांकन को नियंत्रित करने की उम्मीद में इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू किया है। शाहपुर पब्लिक स्कूल 2013 में शुरू हुआ था और दानी लिम्डा स्कूल पिछले साल शुरू किया गया। इन दोनों स्कूलों की शुरुआत क्लास वन से हुई थी लेकिन हर साल इन दोनों स्कूलों में एक-एक क्लास जुड़ रही है। इस साल शाहपुर में क्लास तीन तक पढ़ाई हो रही है और दानी लिम्डा में क्लास दो तक।

शाहपुर स्कूल का यूनिफॉर्म भगवा शर्ट और शॉर्ट्स है। इसे ‘सोशल ऑर्गेनाइजेशन’ शाहपुर सेवा संघ ने स्पॉन्सर किया है। इस संघ के मेंबर खुद एएमसी स्कूल बोर्ड के चेयरमैन जगदीश भवसार भी हैं। इसके चेयरमैन शाहपुर वॉर्ड से पूर्व बीजेपी पार्षद अतुल भवसार हैं। जगदीश भवसार ने कहा, ‘यह संगठन शिक्षा और समाज के लिए काम करता है। रोटरी क्लब और शारदा ट्रस्ट भी स्कूलों के लिए यूनिफॉर्म्स उपलब्ध कराते हैं। अब हमने स्वामीनारायण पंथ से स्कूलों में बच्चों को यूनिफॉर्म दान करने का अनुरोध किया है।’

हालांकि दानी लिम्डा पब्लिक स्कूल में बच्चों के लिए यूनिफॉर्म्स का पैसा स्थानीय लोग जुटाते हैं। जब इस स्कूल को शुरू किया गया था तब 6 महीने तक बच्चे बिना यूनिफॉर्म के ही आए थे। दिसंबर 2014 में ग्रीन कलर का यूनिफॉर्म यहां फाइनल किया गया था।

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