आम जनता के लिए नहीं है गांधी ग्राउंड – शुल्क दे कर ही प्रवेश किया जासकता है।

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उदयपुर। स्मार्ट सिटी की नगर निगम और क्षत्रिय खेल कूद प्रशिक्षण केंद्र के खेल अधिकारी जनता की सुविधाओं को दरकिनार करते हुए आम जनता के लिए उपलब्ध एक मात्र खेल ग्राउंड गांधी ग्राउंड में अपनी तानाशाही चला रहे है। खिलाड़ियों को सुविधाएँ देना तो दूर प्रवेश के लिए ही हर माह का शुल्क लगा दिया है। यही नहीं रविवार द्वीतीय शनिवार और राजकीय अवकाश के दिन बंद रहेगा। जिम्मेदार शुल्क लगाने की वजह बचकानी बता रहे है कि ग्राउंड में असामाजिक तत्वों को आने से रोकने के लिए शुल्क लगाया गया है। हालाँकि नगर निगम के ही कई पार्षद और समिति अध्यक्ष इस फैसले के विरुद्ध है।
एक मई से नगर निगम के अधीन आम जनता के लिए हमेशा उपलब्ध रहने वाला गांधी ग्राउंड ( महाराणा भूपाल स्टेडियम ) में अब ५० से ५०० रुपये तक का शुल्क लगाया गया है। नगर निगम के इस ग्राउंड में खेल गतिविधिया राज्य सरकार की राजस्थान क्रीडा परिषद् के अंतर्गत क्षत्रिय खेलकूद प्रशिक्षण द्वारा संचालित होती है। क्षेत्रीय खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र उदयपुर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित और सुविधाएँ तो ठीक ढंग से दे नहीं पारहा है उलटा नगर निगम के साथ मिल कर खेलने आने वाले खिलाड़ियों पर शुल्क का फरमान जारी कर दिया है।
१०० साल पहले उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह ने शहर की जनता के खेलकूद के लिए स्टेडियम का निर्माण करवाया था। समय के साथ नगर पालिका बनी और यह स्टेडियम नगर पालिका के अधीन आगया। पिछले १०० वर्षों में उदयपुर की नगर पालिका आज नगर निगम बन गयी लेकिन गांधी ग्राउंड में विकास नाम मात्र ही हुआ। अलबत्ता शहर के बीचो बीच राजनैतिक पार्टियों की आम सभा के लिए यह सबसे उत्तम स्थान है। जब भी किसी वीआइपी की आम सभा होती है खिलाड़ियों को साइड में हटा कर १० से १५ दिन तक ग्राउंड सील करदिया जाता है और वहां बड़े नेताओं की सभा की तय्यारी रहती है। यही नहीं निजी कंपनी को भी उनके व्यावसायिक इस्तमाल के लिए बिना संकोच के देदिया जाता है। हाल ही में अमेज़न ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी को ऐड शूट के लिए यह ग्राउंड १५ दिनों के लिए दिया था।

बचकानी वजह बता कर लगा दिया शुल्क :
क्षेत्रीय खेल अधिकारी ललित सिंह झाला का कहना है कि यहाँ पर असामाजिक तत्व आते थे और महिला खिलाड़ियों के साथ छेड़खानी करते थे इसलिए यह शुल्क की व्यवस्था की गयी है। तो क्या असामिज्क तत्व शुल्क दे कर प्रवेश नहीं कर सकते है ? ललित सिंह झाला यह भी मानते है कि अभी तक खिलाड़ियों को ठीक से सुविधा नहीं मिलती थी तो अब लिए गए शुल्क से पानी और खेल एक्युप्मेंट की व्यवस्था की जाएगी जब की राय सरकार की तरफ से करोड़ों रूपये का खेल बजट आता है और हर खेल के कौच लगा रखे है। शुल्क के साथ साथ १५ इसे नियम भी बनाये गए है जिसे पूरा करना जरूरी है।
पार्षद और पूर्व पार्षद विरोध में :
नगर निगम और जिला खेल अधिकारी द्वारा लगाये गए शुल्क के विरोध में नगर निगम के कई समिति अध्यक्ष और पार्षद है उन्होंने अपना विरोध भी दर्ज करवाया है। भाजपा के मंडल अध्यक्ष और पार्षद अतुल चंदालिया ने तो अपनी फेसबुक वाल पर भी इसका विरोध जताते हुए महापौर चन्द्र सिंह कोठारी से सवाल लकर किया की आखिर यह शुल्क क्यूँ ? इधर महापौर चन्द्र सिंह कोठारी को सब कुछ पता होते हुए भी अनभिज्ञता जाहिर कर रहे है। । गांधी ग्राउण्ड पर षुल्क लगाने पर पूर्व क्षेत्रीय पार्शद अजय पोरवाल ने अपनी बात रखते कहा कि यह निगम और क्रिड़ा परिशद की मनमानी है। जिसे उदयपुर की जनता कतई सहन नहीं करेगी और इसका पूरजोर विरोध वह करते रहेंगे।
गांधी ग्राउण्ड पर षुल्क लगाने का विरोध करते हुए पूर्व क्षेत्रीय पार्शद अजय पोरवाल ने षहर की जनता से निर्णय वापसी की मुहिम में षामिल होने की अपील की है।
निर्माण समिति अध्यक्ष और राजस्थान क्रिड़ा परिशद उदयपुर के ट्रेजराज पारस सिंघवी ने कहा की उन्हें भी गांधी ग्राउण्ड में षुल्क लगाए जाने की जानकारी खिलाड़ियो से ही मिली। श्री सिंघवी के लिए यह किसी आष्चर्य से कम नहीं था क्योंकि सरकार की ओर से वह क्रिड़ा परिशद के टे्रजरार नियुक्त किए गए हैं उन्हें भी मालूम नहीं होना खेल अधिकारी के स्वयंभू निर्णायक होने की बात की पुश्टि करता है। उन्होंने शुल्क लगाये जाने का विरोध किया है।
नानालाल बया से, जो राजस्व समिति अध्यक्ष है लेकिन वह इस पूरे खेल से अनभिज्ञ है। श्री बया ने भी इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि वह गांधी ग्राउण्ड में षुल्क कतई नहीं लगने देंगे। पूर्व प्रतिपक्ष नेता दिनेश श्रीमाली और मोजुदा प्रतिपक्ष ने भी गांधी ग्राउंड में लिओये जाने वाले शुल्क को तुगलकी फरमान बताया ही।
मोजुदा पार्षदों और समिति अध्यक्षों को जानकारी नहीं होना यह भी दर्शाता है कि यह निर्णय महापौर चादर सिंह कोठारी और खेल अधिक्स्सरी ललित सिंह झाला द्वारा ही लिया गया है जिसके बारे में आम राय बनाने की जरूरत महसूस नहीं हुई।

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