भाजपा पार्षद अपने ही सत्ता के बोर्ड से उपेक्षित हो कर कांग्रेसी पार्षद के साथ मिलकर वार्ड समस्याओं का ज्ञापन देने पहुचां।

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उदयपुर। इनदिनों शहर भाजपा बड़ी अजीब स्थिति से गुजर रही है। युवा मोर्चा अध्यक्ष का इस्तीफा फिर १५० कार्यकर्ताओं का कांग्रेस में सम्मिलित होना और अब एक भाजपा का पार्षद ने कांग्रेस के पार्षद के साथ मिल कर ज्ञापन देना पड़ा। वजह थी कि अपनी ही पार्टी के बोर्ड में सुनवाई नहीं हो रही थी।
वार्ड सात के भाजपा समर्थित पार्षद बाबूलाल कटारा ने वार्ड छह के कांग्रेस समर्थित पार्षद से मदद मांगी। अपनी मुलभूत सुविधाओं को पाने के लिए वार्ड 7 की जनता भाजपा पार्षद बाबूलाल कटारा और कांग्रेस पार्षद मोहसिन खान के साथ जिला कलेक्टर की चैखट पर गई है। वार्ड की जनता की माने तो यहां की समस्याओं से बार-बार अवगत कराने के बाद भी निगम और नगर विकास प्रन्यास द्वारा कोई भी विकास काम क्षेत्र में नहीं करवाया जा रहा है। पूर्व में जो पार्षद रहे हैं उन्होंने भी कुछ नहीं करवाया और वर्तमान पार्षद अपनी ही पार्टी की गंदी राजनीति के चलते विकास कार्य करवा नहीं पा रहे है। जनता की माने तो दोनो बार वार्ड सात में भाजपा का ही पार्शद काबिज रहा है, लेकिन काम के नाम पर ज्यादा कुछ नहीं करवा पाया है। इस वजह से आमजन को खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। ज्ञापन के दौरान भाजपा के पार्शद बाबूलाल के साथ कांग्रेस के पार्शद मोहसीन खान भी खड़े रहे है और अब जिला प्रषासन से समस्याओं का निराकरण करने की मांग की है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले जिला कलेक्टर बिश्णुचरण मलिक की रात्रि चैपाल में वार्ड 7 की समस्याओं को लेकर लिखित शिकायत भी की गई थी, लेकिन सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
उदयपुर शहर की जनता ने पहली बार पूरे मन से नगर निगम चुनावों में भाजपा को वोट दिए। नतीजा यह रहा कि पचपन से 49 वार्डों पर भाजपा का कब्जा हुआ। विपक्ष तो यहां पर रहा ही नहीं। कांग्रेस के तीन के अलावा तीन और निर्दलीय पार्शदों ने जैसे – तैसे जीत हासिल की। लेकिन इतनी बड़ी जम्बों जीत के बाद न तो वार्ड की जनता खुश है न ही उनके द्वारा चुने गए पार्शद। क्योंकि इस निगम पर सिर्फ एक ही षक्स की बात मानी जाती है। वह चाहे तो जनता खुश होगी और न चाहे तो कोई कुछ कर भी नहीं सकता। पिछले दिनों कुछ समितिध्यक्षों ने काम नहीं होने के कारण इस्तीफे भी दे दिए थे, लेकिन भाजपा के भाई साहब ने जयपुर में अपनी महत्वपूर्ण मीटिंग को छोड़कर यहां आना उचित समझा और सभी को ऐसी फटकार लगाई की अच्छे – अच्छे हिम्मतवालों ने भी हार मानना ही उचित समझा। लेकिन इन दिनों वार्ड 7 के पार्शद के साथ तो गजब ही खेल हो रहा है और यही वजह रही कि भाजपा के पार्शद बाबूलाल को अपने नजदीक के पार्शद मोहसीन खान जो की कांग्रेस से हैं मदद मांगनी पड़ी। भाजपा के एक पार्शद को अपनो से ही परेषान होकर विपक्षी से मदद मांगनी पड़ रही है। इससे तो यह साफ होता है कि स्मार्ट सिटी पर काबिज भारतीय जनता पार्टी के नुमाइंदे अपने ही वार्डों का काम नहीं करवा पा रहे हैं। फिर तो शहर कागजों में ही स्मार्ट होगा।

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