पोस्ट न्यूज़। राजस्थान में हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा की हर के बाद अंदरूनी कहल बाद गयी है। इसी अंदरूनी कहल के बाद कई भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की ज़बान बदजुबानी में बदल रही है। हर रोज़ आरोप प्रत्यारोप के बिच अनाप शनाप बयान आरहे है। आने वाले विधान सभा को देखते हुए आलाकमान अब इस बयान बाजी पर विराम लगा कर भाजपा की जीत के साथ कोई समझोता नहीं करना चाहती। वरिष्ठ नेताओं की बदजुबानी के चलते राज्य में पार्टी की काफी किरकिरी हो रही है और इसीलिए अब इस पर लगाम लगाईं जा रही है।
सूत्रों की मानें तो अब पार्टी ऐसे ‘बदज़ुबान’ नेताओं पर सख्ती बरतने के मूड में दिखाई दे रही है जिनसे उसे फ़ज़ीहत का सामना करना पड़ रहा है। माना जा रहा है कि इस फहरिस्त में बीजेपी विधायक ज्ञानदेव आहूजा का सबसे पहला नंबर आ सकता है। सूत्रों के मुताबिक़ हाल ही में आहूजा के वायरल हुए एक ऑडियो से जुड़े मामले की शिकायत आलाकमान तक पहुंच गई है। लिहाज़ा अब उनपर अनुशासन का डंडा चलना तय माना जा रहा है। गौरतलब है कि आहूजा की बेबाक टिप्पणियां एक नहीं बल्कि कई बार सत्ता और संगठन को परेशानी में डाल चुकी है।
भाजपा विधायक आहूजा पर अब कभी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। भाजपा मुख्यालय पर बुधवार को हुई अनुशासन समिति की बैठक में हाल ही चल रहे आहूजा के वायरल ऑडियो और श्रम मंत्री जसवंत यादव के प्रकरण पर चर्चा की गई। चर्चा के बाद एक गुप्त रिपोर्ट को दिल्ली हाईकमान को भेजी गई है। सूत्रों की माने तो रिपोर्ट के खुलासे के बाद आहूजा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
आहूजा का पिछले दिनों एक ऑडियो वायरल हुआ। इस ऑडियो में नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए हार की जिम्मेदारी सरकार पर डाली थी। अलवर से सांसद का चुनाव हार चुके श्रम मंत्री जसवंत यादव ने ज्ञानदेव आहूजा पर हमला करते हुए कहा कि अगर वायरल ऑडियो आहूजा का है तो उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। प्रदेश के तीन उपचुनावों में भाजपा की हुई हार के बाद सबसे ज्यादा कलह अलवर में सामने आ रही है। अलवर की आठ में से सात सीटों पर भाजपा के विधायक हैं।
वहीं बीजेपी से ही दिग्गज विधायक घनश्याम तिवाड़ी पर पार्टी नेतृत्व अब भी चुप्पी साधे बैठा है। तिवाड़ी भी एक बार नहीं बल्कि कई बार सरकार के खिलाफ खुलकर अपने तेवर दिखा चुके हैं। उनकी सरकार विरोधी बेबाक बयानबाज़ी आज तक जारी है। चौंकाने वाली बात तो ये है कि उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पंडित दीनदयाल वाहिनी का गठन तक कर लिया है।
भाजपा विधायकों और मंत्रियों के बीच चल रही खींचतान अब विधानसभा में भी दिखाई देने लगी है। सत्तापक्ष के विधायक ही मंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे हैं। विधानसभा में बुधवार को सत्तापक्ष के विधायक शुभकरण चौधरी ने गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया पर सवाल उठाए। कटारिया ने चौधरी को खरीखोटी सुना दी। बहस को देखकर विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह ने नाराजगी जताई।
दरअसल, बुधवार को शून्यकाल के दौरान उदयपुरवाटी से भाजपा विधायक शुभकरण चौधरी ने पांच मामलों में जांच होने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर यहां तक कह दिया कि मजाक बना रखा है, सरकार को चाहे जिसे बचा लो। 44 लाख खाने वाले को इस तरह नहीं बचाने दूंगा। एक ही व्यक्ति व परिवार के खिलाफ इतने आरोप होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही। जांच में दोष सिद्ध होने के बावजूद फाइल को सीआईडी सीबी में मंगवा लिया जाता है। यदि आरोपी दोषी नहीं है तो मैं विधानसभा से इस्तीफा दे दूंगा।
गृहमंत्री कटारिया आरोपों का जवाब दे रहे थे, तब चौधरी ने टोकाटोकी का प्रयास किया। इस पर कटारिया ने कहा कि आप भी दूध के धुले हुए नहीं हो। जवाब में विधायक चौधरी ने कहा कि मैं तो दूध का धुला हूं, आप अपनी जबान ठीक करो।
कटारिया बोले, आप एक बात समझ लो, आप जिसके साथ मिले हो, मुझे पता है। किसी निर्दोष को न आज मुलजिम बनाउंगा, न कल बनाउंगा। चौधरी ने कहा कि मैं ऐसे नहीं सुनुंगा। बढ़ती बहस को देखकर उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पर्ची से मामला उठाने का अवसर मिलता है। मंत्री जवाब दे यह बाध्यकारी नहीं है। इस तरह बहस होगी तो पर्ची सिस्टम ही खत्म हो जाएगा। उपाध्यक्ष ने यहकर मामला शांत किया मंत्री का जवाब पर्याप्त है और इसके बाद कोई नहीं बोलेगा।

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