पुस्तकालय – शिक्षा केन्द्रों के हद्धय स्थल होते है – प्रो. सनाढ्य

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20140423_111213विष्व पुस्तक दिवस पर हुई संगोष्ठी
उदयपुर ,जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विष्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक षिक्षक प्रषिक्षण महाविद्यालय में विष्व पुस्तक दिवस पर बुधवार को आयोजित संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आर.पी. सनाढ्य ने कहा कि नई षिक्षा नीतियों के चुनौतीपूर्ण दस्तावेज उनमें पुस्तकालयों को भी षिक्षा, स्वास्थ्य षिक्षा एवं सूचना तकनीकी, दूर संचार षिक्षा तक पाठ्यक्रम में आ गये है लेकिन पुस्तकालय, षिक्षा का कही भी महत्व केवल षिक्षा संस्थाओं में ही होता है। यह किसी पाठ्यक्रम में देखने को नहीं आया है जबकि षिक्षण संस्थानों को खोलनो हेतु सबसे पहले पुस्तकालय का उल्लेख होता है। तत्पश्चात खेल मैदान व प्रयोगषालाओं का जिक्र होता है। पुस्तकालय षिक्षा केन्द्रों के हद्धय स्थल होते है। षिक्षको के लिए पुस्तकलय षिक्षण इसलिए भी जरूरी है कि षिक्षकों केा पुस्तकालय व्यवस्थापन नियम, उपनियम, सूचिकरण, ग्रंथालय वर्गीकरण तथा संदर्भ मानसिक स्वास्थ्य से बौद्धिक समृद्धि पाने से है। अध्यक्ष्ता करतेे हुए डॉ. सरोज गर्ग ने बताया कि मनु स्मृति में भी पुस्तकालय व्यवस्था के लिए सर्वप्रथम निर्देष दिए गए है। डॉ. एस.आर. रंगनाथन ने भारत में स्कूल ऑफ लाईब्रेरी साईंस की स्थापना की थी। संगोष्ठी में पुस्तकालय अध्यक्ष बलवंत सिंह चौहान, डॉ. भूरालाल श्रीमाली, डॉ. हरीष चौबीसा, डॉ. हरीष मेनारिया, घनष्याम सिंह भीण्डर, राम सिंह राणावत ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

Shabana Pathan
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