उदयपुर. सुखाड़िया विवि में दो साल पहले बंद हुई इंटरनल परीक्षा काे वापस शुरू करने की तैयारी से पहले ही स्टूडेंट्स ने विरोध कर दिया है। बावजूद, इसके भी विवि प्रबंधन इसे लागू करने की तैयारी में है। जबकि इसका खामियाजा विवि प्रशासन व स्टूडेंट्स दोनों उठा चुके हैं। परीक्षा परिणामों में देरी, अंकतालिकाओं में गड़बड़ियां जैसी परेशानियाें के चलते जहां स्टूडेंट्स परेशान हुए, वहीं इंटरनल के आयोजन को लेकर पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से परेशानियां और बढ़ गई।
इंटरनल बंद करवाने की मांग लेकर सीसीएस कार्यकर्ताओं ने सोमवार को प्रशासनिक भवन के बाहर प्रदर्शन किया तथा किसी भी अधिकारी को बाहर नहीं जाने दिया। मौके पर पहुंचे प्रतापनगर जाप्ते ने जमीन पर लाठियां बजाकर कार्यकर्ताओं को हटाया। मामले में कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी का कहना है कि एकेडमिक काउंसिल में मामला रखा जाएगा, उसमें होने वाले निर्णय को ही लागू किया जाएगा।
इंटरनल : लागू से बंद होने तक का गणित
छह माह चली व्यवस्था
सुविवि ने 2011 में इंटरनल परीक्षा की शुरुआत की। तय हुआ कि 20 नंबर स्टूडेंट्स की उपस्थिति व कक्षा में होने वाली परीक्षा के आधार पर प्रोफेसर्स देंगे, लेकिन 2012 के मध्य सत्र में ही इसे अचानक बंद कर पूर्व के पैटर्न पर परीक्षाएं ली गई।
नहीं बन पाई प्रक्रिया
इंटरनल मार्क्स समय पर नहीं बताए गए, क्योंकि प्रोफेसरों ने समय पर कॉपियां नहीं जांची और न समय पर सब्मिट करवाई। इसके चलते परीक्षा परिणाम समय पर घोषित नहीं हो पाए। स्टूडेंट्स ने विरोध करना शुरू कर दिया।
रही एजेंसी की निर्भरता
परीक्षा परिणाम व अंकतालिकाओं को लेकर संबंधित एजेंसी पर निर्भरता बढ़ती चली गई। स्टूडेंट्स एवं संगठनों का आक्रोश झेल रही सुविवि ने इसे बंद करने का अंतिम निर्णय लेकर इसे बंद कर दिया।
दोनों परेशान, फिर भी चाहिए व्यवस्था
स्टूडेंट्स
समय पर परिणाम नहीं मिलने के चलते कई स्टूडेंट्स प्रतियोगी परीक्षा से वंचित रहे तो कई अन्य राज्यों में पढ़ने नहीं जा सके। प्रोविजनल एडमिशन लेकर काम चलाना पड़ा। बावजूद इसके भी गलत अंकतालिकाओं का भी समय पर सुधार नहीं हो पाने से परेशानी बढ़ गई। स्टूडेंट्स सेक्रेसी विभाग के चक्कर लगाकर परेशान हुए।
सुविवि
इंटरनल परीक्षा लागू तो कर दी, लेकिन इसके संचालन के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं था। ऐसे में आउटसोर्सिंग की गई, लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिली। विवि प्रबंधन इसी पर फोकस करता रहा कि समस्या का हल कैसे हो।
दो साल बाद वापस तैयारी क्यों
कुलपति प्रो. अाईवी त्रिवेदी ने बताया कि जब यह व्यवस्था लागू की थी, तब स्टूडेंट्स की कक्षाओं में 70 फीसदी उपस्थिति के आधार पर नंबर दिए जाने थे। ऐसा हुआ भी। कक्षाओं में स्टूडेंट्स बढ़ने लगे। प्रक्रिया में कुछ खामियां रही, लेकिन उसे सुधारा भी गया। अब इससे जुड़ी सारी परेशानियों को दूर कर वापस लागू करने की तैयारी है। स्टूडेंट्स, इसलिए विरोध कर रहे हैं ताकि उन्हें कक्षाओं में नहीं बैठना पड़े तथा साल भर परीक्षाएं नहीं देनी पड़े।

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Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

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