DSC_0906आज मुस्लिम महासभा राजस्थान की तरफ से गांधीनगर स्थित कार्यालय पर शहीद क्रान्तिकारी अशफाक उल्ला खान शहादत दिवस मनाया गया। प्रोग्राम के मुख्य अतिथि समाजसेवी शब्बीर के. मुस्तफा, रवीन्द्र जी कप्पू, पार्षद नजमा मेवाफरोश, पार्षद राशिद खान थे।
प्रोग्राम का आगाज तिलावते कुरआन से किया गया। शहीद अशफाक उल्ला खान की जीवनी पर अतिथियों ने रोशनी डाली।
अशफाक उल्ला खान का जन्म 22 अक्टुबर 1900 को हुआ, अशफाक उल्ला खान ने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आठ क्रान्तिकारियों के साथ 9 अगस्त 1925 को सहारनपुर-लखनऊ 8 डाउन पेसेन्जर ट्रेन में अंग्रेजों के खजाने को लूटा। यह कांड कांकोरी कांड के नाम से चर्चित हुआ। क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजो से लडने के लिए इस खजाने से हथियार खरीदे। इस कांड से बोखलाए अंग्रेजो ने बिना सोचे समझे क्रान्तिकारियों की धरपकड़ शुरू कर दी। इस दौरान राम प्रसाद बिस्मिल अपने साथियों के साथ पकडे गये। अशफाक उल्ला खान को फैजाबाद जेल में रखकर कडी यातनाएं दी गई और 19 दिसम्बर 1927 को फांसी दे दी। मुस्लिम अधिकारियों द्वारा उनको सरकारी गवाह बनने के दबाव पर उनके आखिरी शब्द थे के ‘‘यार कुछ मुस्लिमों को भी फांसी चढ़ने दो’’।
प्रोग्राम का संचालन फिरोज बशीर खान ने किया। इस मौके पर हाजी मोहम्मद बक्ष, करीना खान, हफीज शाह, याकूब खान, एडवोकेट ताहिर खान, इरफान बरकाती, रहमान नियाजी आदि लोग उपस्थित थे।

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