उदयपुर। फिल्म थ्री इडियट में वर्तमान शिक्षा पद्धति पर कई कटाक्ष किए गए थे। इस फिल्म ने शिक्षा को लेकर अब तक का नजरियां ही बदल दिया। फिल्म का एक डायलॉग का आशय यह है कि सफल बनने के लिए नहीं, बल्कि काबिल बनने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए, क्योंकि काबिल होते ही सफलता अपने आप पीछे-पीछे आएगी, लेकिन हमारे शहर के निजी स्कूलों ने एक तुगलकी आदेश जारी करते हुए ७० प्रतिशत से कम अंक लाने वाले छात्रों को आर्स सब्जेक्ट लेने पर बाध्य कर दिया है। सभी स्कूलों में परसेंटेज के आधार पर सब्जेक्ट बांटे जा रहे हैं। इस मनमानी से छात्र और अभिभावक दोनों ही परेशान है। साइंस, कॉमर्स और आर्स विषय छात्रों की रूचि को अनदेखा करते हुए परसेंटेज के आधार पर बांट दिए हैं। बच्चे अपने रूचि के विषय लेने के लिए स्कूलों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, उनके माता-पिता स्कूलों के अध्यापकों से मिन्नतें कर रहे है और इन निजी स्कूलों का प्रशासन परसेंटेज की दुहाई देते हुए छात्रों को वो ही विषय लेने पर मजबूर कर रहा है, जिसमे बच्चे की कोई रूचि ही नहीं है।

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कहीं कोई अंकुश नहीं:
छात्रों के अभिभावक बच्चों के भविष्य को लेकर चिन्तित है और निजी स्कूलों ने अपनी मनमानी चला रखी है। इन पर कोई अंकुश नहीं होने से इन्होंने खुद ही तय कर लिया कि साइंस वो ही छात्र पढ़ सकता है, जिसके नंबर 90 प्रतिशत से अधिक आए। कुछ निजी स्कूलों में पूछने व विरोध करने पर जवाब मिला कि यह स्कूल की अपनी व्यवस्था है। यदि आप नहीं चाहते, तो स्कूल से बच्चे को निकाल सकते हो।
क्या होना चाहिए :
हर स्कूल प्रशासन दसवीं के छात्र व उनके माता-पिता के साथ बैठकर काउंसलिंग करे और जाने कि छात्र आगे भविष्य में क्या करना चाहता है और उसके लिए कौनसा विषय उपयुक्त रहेगा। उसके बाद ही तय किया जाए कि छात्र को कौनसा विषय लेना है, न कि परसेंटेज की तलवार लटका कर उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाए।
नहीं है ऐसे नियम
राज्य सरकार या केंद्र सरकार ने आरबीएससी व सीबीएससी में ऐसे कोई नियम नहीं रखे है कि छात्र को उसके परसेंटेज के आधार पर विषय में प्रवेश दिया जाए। सरकारी स्कूलों में ऐसे कोई नियम लागू नहीं है। छात्र को उसकी रूचि और भविष्य को देखते हुए उसके द्वारा चुना हुआ विषय दिया जा रहा है। हर छात्र का हक है कि वह अपनी रूचि के हिसाब से विषय का चयन करे।
स्कूलों के मनमाने नियम
दसवीं के बाद छात्र को साइंस, कॉमर्स, और आट्र्स में से कोई एक सब्जेक्ट चुनना होता है। निजी स्कूलों ने परसेंटेज के आधार पर इन विषयों को बांट कर अपने मनमाने नियम छात्रों पर थोप दिए हंै। 100 से
85 परसेंटेज लाने वाले छात्र को साइंस, 85 से 70 लाने वाले को कॉमर्स और 70 से नीचे वालों के लिए सिर्फ एक ही विकल्प है कि वह आट्र्स ले ले। इस मनमानी के चलते कई बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चे के भविष्य के प्लान के बारे में ही चिंता होने लगी है, क्योंकि 80 परसेंट लाने वाला छात्र भी साइंस में प्रवेश नहीं ले सकता है और 70 परसेंट से कम लाने वालों के लिए तो सिर्फ एक ही रास्ता है कि वह आट्र्स ले लो।

[quote_box author=”कृष्णा चौहान” profession=” डीओ (फर्स्ट) उदयपुर “]सरकार के ऐसे कोई आदेश नहीं है कि परसेंटेज के आधार पर विषय दिया जाए। मैं अपने स्तर पर मामले की जांच करवाती है। उचित कार्रवाई की जाएगी।[/quote_box]

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