मेरे ख्वाज़ा के उर्स का झंडा हुआ बुलंद

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 गरीब नवाज़ के जश्न का ये आलिशान फोटो " अकील अहमद" ने उदयपुर पोस्ट को उपलब्ध करवाया

गरीब नवाज़ के जश्न का ये आलिशान फोटो ” अकील अहमद” ने उदयपुर पोस्ट को उपलब्ध करवाया

 

उदयपुर. सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 802वें उर्स का झंडा शनिवार को धूमधाम से दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया। तोप के गोले दागे गए और पटाखे छोड़े गए। इसके साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई। उर्स की विधिवत शुरुआत रजब महीने का चांद दिखाई देने पर 1 मई से होगी। परंपरा के मुताबिक दरगाह गेस्ट हाउस से अस्र की नमाज के बाद झंडे के जुलूस की शुरुआत हुई। भीलवाड़ा के गौरी परिवार के सदस्य झंडा लिए हुए थे। जुलूस के शुरू होते ही बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागे जाने लगे। गाजेबाजे और ढोल नगाड़ों के बीच निकले जुलूस में खासी तादाद में आशिकाने ख्वाजा शरीक हुए। सबसे आगे ढोल, नगाड़ावादक चल रहे थे। इनके पीछे पुलिस का बैंड सूफियाना कलामों की धुनें बजा रहे थे। पीछे भीलवाड़ा के गौरी परिवार के सदस्य झंडा लिए चल रहे थे।

इधर दरगाह की शाही कव्वाल चौकी के सदस्य असरार हुसैन आदि ‘यह तो ख्वाजा ही ख्वाजगां की चादर है’ ‘फख्र ओ कोनो मकां की चादर है…’ आदि कलाम का नजराना पेश करते हुए चल रहे थे। गौरी परिवार के सदस्य मुतवल्ली अबरार अहमद की सदारत में सिर पर फूलों की टोकरियां लिए हुए चल रहे थे। जुलूस में फखरुद्दीन गौरी समेत विभिन्न गणमान्य लोग शामिल थे। लंगर खाना गली, नला बाजार, दरगाह बाजार होते हुए जुलूस रोशनी के वक्त से पूर्व दरगाह के बुलंद दरवाजे पहुंचा। यहां परंपरागत तरीके से गौरी परिवार के सदस्यों ने मौरूसी अमले के साथ मिल कर झंडे को बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया। इसके साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई। झंडा चढ़ाने में दरगाह कमेटी के दारोगा मोबीन खान, अमले के सदस्य उस्मान घडिय़ाली, मुजफ्फर भारती, सुब्हान घडिय़ाली, हसन नक्कारची, शमीम नक्कारची और मुदस्सिर समेत 36 सदस्य मौजूद थे। इधर गौरी परिवार के भी सात सदस्य बुलंद दरवाजे पर मौजूद थे।

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30 को खुलेगा जन्नती दरवाजा

उर्स के मौके पर जन्नती दरवाजा 30 अप्रैल को तड़केे खुल जाएगा। यह दरवाजा 6 मई तक जायरीन के लिए खुला रहेगा।

झंडे की एक झलक पाने को बेताब रहे जायरीन, रस्म के दौरान अदब से झुकाए सिर

उर्स के झंडे की रस्म में शिरकत के लिए दरगाह में अकीदतमंदों का सैलाब उमड़ पड़ा। रस्म में विधायक हबीबुर्रहमान खान समेत विभिन्न लोगों भी शिरकत की। झंडे के जुलूस और बाद में बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की रस्म को देखने के लिए दरगाह में खासी तादाद में आशिकाने ख्वाजा पहुंचे। गरीब नवाज से अकीदत ही थी कि हर तरह की परेशानी के बावजूद आशिकाने ख्वाजा के जज्बा ए अकीदत में कोई कमी नजर नहीं आई। इनमें महिला और बच्चे भी शामिल थे। पुलिस के धक्के और भीड़ में भिंच जाने का भी उन्हें कोई गम नहीं था। बस, झंडे की एक झलक पाना उनका मकसद नजर आया। जैसे ही झंडा दरगाह में पहुंचा, अदब में लोगों ने सिर झुका दिए और दुआएं करते नजर आए।

जायरीन के साथ ही दरगाह कमेटी सदर मोहम्मद उबेदुल्लाह शरीफ, अंजुमन सैयद जादगान व शेख जादगान के पदाधिकारी, पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया, पूर्व विधायक हाजी कय्यूम खान, कांग्रेस नेता हाजी महमूद खान, हफीज खान, पूर्व नाजिम डॉ अंसार अहमद खान, हाजी हसन हाशमी, एसएफ हसन चिश्ती और शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती समेत विभिन्न लोगों ने शिरकत की।

मोबाइल में कैद करने की होड़

इधर जुलूस को मोबाइल के कैमरों में कैद करने की जायरीन में होड़ लगी नजर आई। दरगाह परिसर में जायरीन की एक बड़ी तादाद मोबाइल के कैमरे से रस्म की रिकॉर्डिंग करती नजर आई। दरगाह परिसर में महिला जायरीन को नियंत्रित करने के लिए महिला पुलिस कांस्टेबल की व्यवस्था नहीं की गई थी। पुरुष पुलिसकर्मी ही उन्हें नियंत्रित करते नजर आए। ख्वाजा साहब के 802वें उर्स का झंडा शनिवार को बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया। इसके साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई।

दिन भर जियारत का तांता

ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह जियारत के लिए शनिवार को रात तक जायरीन का तांता लगा रहा। दोपहर की बजाए रात को खिदमत हुई। शनिवार से ही मजार शरीफ की खिदमत का वक्त भी बदल गया। हिजरी संवत के जमादिउस्सानी महीने की 25 तारीख को देखते हुए शनिवार से मजार शरीफ की खिदमत का वक्त बदल गया। प्रतिदिन दोपहर 2.30 बजे से होने वाली मजार शरीफ की खिदमत दोपहर में नहीं हुई। इसका फायदा जायरीन को मिला, दोपहर में जायरीन आस्ताना शरीफ में जियारत को पहुंचे। रात करीब 8 बजे आस्ताना शरीफ खिदमत के लिए बंद किया गया। अंजुमन सूत्रों के मुताबिक अब रजब महीने की 5 तारीख तक मजार शरीफ की रात में ही खिदमत होगी। जायरीन दिन भर जियारत कर सकेंगे। 6 रजब को कुल की रस्म के बाद परंपरा के मुताबिक दिन में वापस खिदमत शुरू हो जाएगी।

देगों का ठेका शुरू

उर्स के मौके पर दरगाह में स्थित देगों के ठेके की शुरुआत शनिवार से हो गई। नए ठेकेदार ने व्यवस्था संभाल ली है। इधर दिन भर देग में नजराना डालने का जायरीन का तांता लगा रहा। जमादिउस्सानी महीने की 25 तारीख शुरू हो जाने के कारण तय शर्तों के मुताबिक देगों का नया ठेका भी शुरू हो गया। उर्स के 15 दिन और पुष्कर मेले के 10 दिन के लिए पिछले दिनों अंजुमन सैयदजादगान व अंजुमन शेखजादगान ने संयुक्त रूप से देगों का ठेका सैयद लियाकत हुसैन मोतीवाला को दिया है। यह ठेका 3 करोड़ 6 लाख 100 रुपए में छूटा था। उर्स अवधि का यह ठेका 9 रजब को पूरा होगा। इसके बाद पुष्कर मेले के 10 दिन के लिए ठेका होगा। इस दौरान जायरीन देगों में नजराने के साथ ही चढ़ावे के रूप में सूखे मेवे, गेहूं, चावल और जेवरात आदि डालेंगे। अंजुमन सूत्रों के मुताबिक मन्नत पूरी होने पर अकीदतमंद यह नजराना पेश करते हैं।

रोशनी की दुआ में उमड़े आशिकाने ख्वाजा

दरगाह में शनिवार को हुई रोशनी की दुआ में आशिकाने ख्वाजा की भीड़ उमड़ी। शनिवार से रोशनी की दुआ अहाता ए नूर में शुरू हुई। गरीब नवाज के उर्स का झंडा चढऩे के साथ ही दरगाह में रोशनी की दुआ की शुरूआत भी अब अहाता ए नूर में हो गई है। आम दिनों में यह दुआ आस्ताना शरीफ में होती है। खुद्दाम ए ख्वाजा की ओर से दुआ कराई गई। ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स भी शांतिपूर्वक संपन्न हो, इसके लिए भी दुआ की गई। इधर झंडे की रस्म में शरीक होने आए आशिकाने ख्वाजा झंडा चढ़ते ही सीधे दुआ में शरीक हुए। इसके चलते अहाता ए नूर खचाखच भरा हुआ था।

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