विद्यापीठ के अरण्य भारती केन्द्र नाई पर ग्रामीण दक्षता सम्मान समारोह

उदयपुर, राजस्थान विद्यापीठ के वाइस चांसलर प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि दक्षता एक कला है और वह सम्प्रेषण के माध्यम से पाई जाती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा की अनिवार्य आवश्यक हैं। शिक्षा का मूल उद्देश्य मनुष्य की आत्मा और उसके सम्पूर्ण व्यक्त्वि केा निखारना और अभिव्यक्ति के लिए समर्थ बनाना है। साथ ही शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को साक्षर एवं प्रबुद्घ बनाते हुए जीविकोपार्जन क लिए तैयार करना है।

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अवसर था जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेशालय के अन्तर्गत मंगलवार को नाई स्थित अरण्य भारती केन्द्र पर ग्रामीण दक्षता सम्मान समारोह के द्वितीय चरण का।

जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेशालय के निदेशक डा. ललित पाण्डे्य ने बताया कि इस केन्द्र पर ८५ ग्रामीण छात्र छात्रा को कम्प्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई, बंधेज, बुनाई के लिए प्रमाण पत्र एवं उपरणा आ$ेढाकर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता के करते हुए डॉ. लक्ष्मीनारायण नन्दवाना ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही मेवा$ड के सुदूर आदिवासी अंचलों में जागरूकता लाई जा सकती है जिसको हमारे संस्थापन मनीषी पं. जनार्दनराय नागर ने जनभारती केन्द्रों की स्थापना कर शुरूआत की।

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उच्च शिक्षा से जु$डे ग्रामीण :वाइस चांसलर प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि विद्यापीठ के सभी जनभारती केन्द्रों को उच्च शिक्षा से जो$ड दिया गया है जिससे ग्रामीण छात्र छात्राए गांवों में स्थित इन केन्द्रों से सम्पर्क कर घर बैठे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते है। इसके लिए इन केन्द्रों पर शिक्षण दीक्षण की समुचित व्यवस्था उपलब्ध की गई है।

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