उदयपुर । शहर के व्यस्त चोराहे में से एक कोर्ट चौराहे पर सड़क किनारे एक विक्षिप्त महिला ने बच्चे को जन्म दिया। एक घंटे तक कोई सहायता को नहीं आया, सूचना पर भी १०८ या जननी सुरक्षा मोके पर नहीं पहुची। एक घंटे बाद गुजरते हुए नर्सिंग कर्मियों ने सहायता की और महिला को अस्पताल पहुचाया .
महाराणा भूपाल चिकित्सालय से सटा हुआ कोर्ट चोराहे पर सड़क किनारे आज दिन में एक विक्षिप्त महिला ने बच्चे को जन्म देदिया। प्रसव होता देख भीड़ जमा होगई लेकिन कोई भी सहायता के लिए आगे नहीं बढ़ा, हर कोई तमाशबीन बन कर अफ़सोस करता रहा। राहगीरों को समझ भी नहीं आया कि आखिर क्या किया जाए। लोगों द्वारा १०८ और जननी सुरक्षा एम्बुलेंस को कॉल किया लेकिन एक घंटे बाद तक भी कोई नहीं आया जबकि घटना स्थल से महज़ आधा आधा किलोमीटर की दूरी पर पुलिस कंट्रोल रूम है जहाँ १०८ एम्बुलेंस खड़ी रहती है, और १०० कदम पर संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल महाराणा भूपाल चिकित्सालय है वहां भी मानव सेवा का दावा करने वाले कई संगठनों की एम्बुलेंस खड़ी रहती है। आखिर एक घंटे बाद वहां से गुजर रहे दो नर्सिंग कर्मी छात्रों ने मानवता का परिचय दिया और प्रसूता महिला को संभालते हुए ऑटो से महाराणा भूपाल चिकित्सालय पहुचाया । जहाँ महिला और बच्चा दोनो स्वस्थ बताये जा रहे है। अभी तक यह पता नहीं लग पाया कि आखिर गर्भवती महिला को इस तरह सड़क पर कोन छोड़ कर गया था। घटना ने सरकार के महिला सुरक्षा और जननी सुरक्षा के दावों पर भी सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर एक विक्षिप्त महिला नौ महीने तक गर्भवती होने पर सड़कों पर ही घूमती रही? उसे समय पर संभाला नहीं गया? बच्चे का पिता कौन है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब अब प्रशासन के सामने है।

 

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