“नारी के स्वरुप” women’s day पर नाजनीन अली की कविता

Date:

कभी एक बूँद हूँ मैं, कभी सागर बन जाती हूँ
जननी हूँ मैं, फिर भी, भ्रूण में मारी जाती हूँ
वैसे तो ममता की मूरत, पर फ़ौलाद कभी बन जाती हूँ
माँ, बेटी और बीवी बन कर, सब पर प्यार लुटाती हूँ
हर दौर में, हर रूप में, कितनी क़ुरबानी देती हूँ
बदले में कुछ और नहीं बस, थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ
बदले में कुछ और नहीं, ……………….

राम राज्य में बन कर सीता, अग्नि परीक्षा देती हूँ,
बन कर कभी द्रौपदी मैं, चीरहरण भी सहती हूँ
मीरा जैसी जोगन बनकर, कभी विष भी पीती हूँ
बनकर मरियम जैसी माता, यीशु का पोषण करती हूँ
पड़ जाए मुश्किल कभी जो, ज़ैनब सा हौंसला रखती हूँ
बदले में कुछ और नहीं, बस थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ
बदले में कुछ और नहीं, ……………….

मर्दों की इस दुनिया में, कितना शोषण मैं सहती हूँ
खुद को जला जलाकर, अपने घर को रोशन करती हूँ
औरों को खुश करने में ही, मैं खुद को खुश समझती हूँ
अपना कोमल ह्रदय लिए मैं, सबकी पीड़ा हरती हूँ
न पहुँचे तक़लीफ़ किसी को, हर काम मैं ऐसे करती हूँ
बदले में कुछ और नहीं, बस थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ
बदले में कुछ और नहीं, ……………….

मुझको अबला न समझना, हर काम मैं खुद कर सकती हूँ
घर की चौखट में रहकर मैं, घर को सुसज्जित करती हूँ
कदम बढ़ाऊँ जो बाहर तो, चाँद पर भी जा सकती हूँ
साहिल पर खामोश रहूँ पर, तूफ़ानों से लड़ती हूँ
अपनी सतरंगी छवि से, दुनिया रंगीन कर सकती हूँ
बदले में कुछ और नहीं, बस थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ
बदले में कुछ और नहीं, बस थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ

नाज़नीन अली “नाज़”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Crystal Queen Slot Online game Remark & Totally free Gamble Demo

BlogsBetter Gambling enterprisesGenting Gambling enterpriseSuspended setup The brand new phenomenal...

Game You to definitely Pay Real cash: microgaming casino slot games Pros, Cons and you will Reading user reviews

BlogsMicrogaming casino slot games - Comparable GamesA huge Catch...