‘रोमांस के बादशाह’ यश चोपड़ा नहीं रहे

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बॉलीवुड के जाने-माने निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा का निधन हो गया है. रविवार की शाम मुंबई के लीलावती अस्पताल में उन्होंने आख़िरी सांस ली. वो 80 साल के थे.

वे डेंगु से पीड़ित थे. लीलावती के डॉक्टरों के अनुसार तबियत ख़राब होने पर उन्हें 13 अक्तूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और रविवार की शाम छह बजे के आस-पास यश चोपड़ा के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था जिसके कारण उनकी मौत हो गई.

हालाकि बीच में ऐसी ख़बरें आ रहीं थीं कि उनकी तबियत में सुधार हो रही है.

यश चोपड़ा अपने पीछे पत्नी पामेला चोपड़ा एवं दो लड़के आदित्य एवं उदय छोड़ गए हैं.

उनका पार्थिव शरीर सोमवार की सुबह नौ बजे से 12 बजे तक यशराज फ़िल्म्स के स्टूडियों में रखा जाएगा और दोपहर तीन बजे चंदनवाड़ी में उनका दाह संस्कार किया जाएगा.

उनकी मौत की ख़बर आते ही पूरे फ़िल्म जगत में सन्नाटा छा गया.

फ़िल्म इंडस्ट्री की जानी-मानी हस्तियों ने ट्विटर और फ़ेसबुक के ज़रिए अपने शोक संदेश देने शुरू कर दिए.

उसके बाद फ़िल्मी हस्तियों का अस्पताल पहुंचना शुरू हो गया. पहले पहुंचने वालों में शाहरूख़ ख़ान, दिलिप कुमार, सायरा बानो, अनिल कुमार और करण जौहर थे.

जानी-मानी गायिका लता मंगेशकर ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यश चोपड़ा एक बड़े फ़िल्मकार होने के साथ-साथ उससे भी ज़्यादा बड़े इंसान थे.

लता मंगेशकर के अनुसार उनका और यश चोपड़ा का रिश्ता सिर्फ़ फ़िल्मों के कारण नहीं था बल्कि वे दोनों एक भाई-बहन की तरह थे.

फ़िल्मकार मनोज कुमार ने कहा कि यश चोपड़ा ज़िंदगी भर अपनी फ़िल्मों के ज़रिए लोगों में प्यार बांटते रहे.

हिंदी फ़िल्मों में रोमांस को उन्होंने एक नए तरीक़े से पेश किया और उनकी कई फ़िल्मों में ऐसी कहानियां थीं जो कि उस समय के भारतीय समाज के लिए शायद बहुत बड़ी बात थी.

उनकी फ़िल्म ‘सिलसिला’ और ‘लम्हे’ ऐसी फ़िल्में थीं जिसमें उन्होंने समाज को चुनौती देने की कोशिश की थी.

यश चोपड़ा की फ़िल्म ‘जब तक है जान’ बन कर तैयार है और 13 नवंबर को रिलीज़ होने वाली है. इसमें शाहरूख़ ख़ान, कटरीना कैफ़ और अनुष्का शर्मा अहम भूमिका निभा रहें हैं.

फ़िल्में

यश चोपड़ा ने पिछले महीने ही फ़िल्म निर्देशन से रिटायर होने की घोषणा की थी.

27 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के लाहौर में उनका जन्म हुआ था.

यश चोपड़ा ने ‘धूल का फूल’ से फ़िल्म निर्देशन के करियर की शुरुआत की थी.

दाग़, दीवार, मशाल, सिलसिला, चांदनी, लम्हे, डर, दिल तो पागल है जैसी फ़िल्में बनाने वाले यश चोपड़ा हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के एक मज़बूत स्तम्भ थे.

सिनेमा में अमूल्य योगदान के लिए उन्हें 2001 में भारत का सर्वोच्च सिनेमा सम्मान ‘दादा साहेब फ़ाल्के’ पुरस्कार दिया गया था.

सो.- बी बी सी -हिंदी

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