देश के सभी गावों में विधुतीकरण का सच क्या है आप भी जानिये।

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उदयपुर पोस्ट। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अप्रेल को ट्वीट कर 28 अप्रेल का दिन एतिहासिक बताया क्यूँ की अब देश के हर गाँव का विधुतीकरण हो चुका है। प्रधानमंत्री के इस ट्वीट को सत्ता पक्ष के मंत्री और नेताओं ने हाथों हाथ लेते हुए देश में 100 प्रतिशत विधुतीकरण का केम्पेन चला दिया लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इंडिया टुडे ने एक जांच रिपोर्ट जारी की जिसमे प्रधानमंत्री के इस दावे को सही नहीं बताया। इंडिया टुडे ने अपने कई संवाददाता को प्रधानमंत्री के दावे की सत्यता की परखने के लिए विभिन्न गांवों में भेजा गया था। सर्वेक्षण के बाद जमीनी हकीकत में सामने आया कि कई सारे गांवों में विधुतीकरण तो अभी बहुत दूर की बात है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं।


शनिवार को मोदी ने 28 अप्रेल की तारीख को भारत की विकास यात्रा में यह कहकर एक ऐतिहासिक दिन बताया था “भारत के हर गांव में अब बिजली पहुच गयी है। इंडिया टुडे ने सोमवार को यह चोंकाने वाला तथ्य सरकार के दावे की खामियों की और ध्यान आकर्थित करने के लिए अपने समाचार पत्र मेल टुडे में प्रकाशित किया है। सरकार ने दावा था कि अंधकार में डूबे 18,000 से भी ज्यादा गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है।
मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे दलित बहुल आबादी के पांच गांव हैं। यहां के लोगों को यह पता नहीं है कि बिजली क्या होता है। उन पांच गांवों में से एक गांव है अलीराजपुर, जहां का दौरा इंडिया टुडे के संवाददाता ने किया था। वास्तव में इस गांव में केवल बिजली के खंभे खड़े हो थे।
मध्यप्रदेश में ही अभी तक 50 गांव शेष हैं जहां बिजली पहुंचाना बाकी है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लोकसभा निर्वाचन, सांची के बारे में भी इस सूची में छ: गांव हैं। ये गांव हैं: जैत्राह, बिली, पोंड, रामगढ़, खाननपुरा, गोपालपुर और जब बात समस्त मध्यप्रदेश की हो तो ऐसे गांवों की सूची अंतहीन है।
है।

झारखंड में जमशेद पूर से 90 किलोमीटर दूर सापरूम गाँव स्थित है जहाँ से मात्र डेड किलोमीटर रेलवे स्टेशन भी है। और इस गांव में दो साल पूर्व बिजली के लिए खंभे खड़े किए गए थे लेकिन गांव में लगे इन खम्भों में आज भी बिजली नहीं आई है।
अब अगर राजस्थान की बात करें तो यहां धौलपुर के आधा दर्जन से अधिक गांवों ने अभी तक बिजली नहीं देखी है। ये गांव है- घुड़यया हेड़ा, हथियार खार, खेडी का नगाला, राजगाहट, हरिपुरा, गोले का पुरा, शंकरपुरा और ठाकुर पुरा। एक ग्रामीण नैत कि ” बिजली की बात तो भूल जाओ, हमारे गांव में सही सड़क और शुद्ध पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है। हमें तो नेता जब चुनाव हो, तभी नजरआते
आते हैं और वही मात्र एक ऐसा समय होता है जब वे हमारी बात सुनते हैं। “| इंडिया टुडे ने सर्वेक्षण के लिए जो राज्य चुने हैं यहाँ में सभी भाजपा की सरकारें राज्य हैं।

न्यूज़ मैगज़ीन इन्डियाडिया टुडे की टीम ने मध्य प्रदेश, राजस्थान में झारखंड के कई गांवों का सर्वेक्षण किया और पाया कि, इन राज्यों में कई गांव ऐसे हैं, जहां बिजली के खम्बे तो लगे हैं, पर विधुतीकरण का कोई और काम नहीं हुआ है।
कई और गांवों में तो खम्बे भी नहीं लगे हैं। मध्य प्रदेश में पचास ऐसे गांव हैं, जहां बिजली पहुंचने के लिए कोई आसार नहीं हैं।
झारखंड में जमशेदपुर से 90 किलोमीटर दूर सपरूम गांव में दो साल से खम्बे गढ़े हैं, पर बिजली आज तक नहीं पहुची।
राजस्थान के धौलपुर जिले में लगभग आधे दर्जन गांव, घुड़ेया हेड़ा, हाथिया खार, खेड़ी का लाला, राजगाहट, गोले का पुरा, शंकरपुरा में ठाकुर पूर्ण, ऐसे गांवों में, जहां के निवासियों ने आज तक इलैक्ट्रसिटी नहीं देखा गांव में।

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