खतरों के खिलाडी

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चाहे पड़ोसी की मोटर सायकिल से पेट्रोल की चोरी हो या फिर बिना लाइसेंस के पहली जॉय राइड पर निकलना, मस्ती-मस्ती में उदयपुर की भोली जनता खतरों के खिलाडी बन गयी हे रिस्क खूब लेती है। जानते हैं, उदयपुर वालों की 11 रिस्की आदतों के बारे में…

 हम सब ने अपनी अपनी ज़िन्दगी कोई न कोई रिस्क लिया होगा वेसे सारे रिस्क का जवाब होता हे भाई शादी से बड़ा रिस्क क्या हो सकता हे ., लेकिन कोई अपने बोस को बेवकूफ बनाने के किस्से सुनाता हे तो कोई पुलिस के आगे रेड लाइट में बिना हेलमेट के निकलने का किस्सा सुनाता हे इसके अलावा भी लोग कई तरह के रिस्क लेते ही रहते हे लेकिन हमारे उदयपुर के लोग महान हे जो ये रिस्क अक्सर लेते हुए कही न कही दिख जायेगे

 अबे नहीं गिरेगा

बाइक हो या कार की डिकी, उसमें कई बार सामान ऐसे लोड किया जाता है, जैसे अपने घर का ट्रक हो। चुन्नी और प्लास्टिक की रस्सियों से बांधकर सिलेंडर, फर्नीचर धड़ल्ले से कई-कई किलोमीटर का सफर तय कर आते हैं। और जो कोई आगाह करे, उसे झट जवाब मिल जाता है, इससे भी बड़े-बडे़ लगेज पहुंचाए हैं! और जब बिच रस्ते में एक्सीडेंट हो जाये तो ये रिस्क उनपर भरी पद जाता हे

 नहीं छूटेगी ट्रेन यार

अरे आराम करो, अभी बहुत टाइम बाकी है। अच्छा खाने के लिए अच्छे से पूड़ियां तो ली है ना। सुनो मुझे उठा देना, मैं सोता हूं। अक्सर घर का एक न एक मेंबर ऐसा बोल कर बाकियों को भी सुस्त कर देता है। और फिर एकदम से सबको होश आता है कि घड़ी की सुई में ट्रेन का समय बजने में बस 1 घंटा बचा और स्टेशन कोसों दूर। लेकिन छूटती ट्रेन को पकड़ने के रिस्क की आदत है कि सुधरती नहीं!

 एडवेंचर का मजा

लाइफ में क्या कोई पागलपन किया है। पूछने पर कोई कहता है बंजी जपिंग, तो कोई फ्री स्काई डाइविंग के रोमांच की कहानी बयां करना नहीं भूलता। मगर मजेदार बात ये है कि उनमें ज्यादातर ने घर में दो सीढि़यां भी कभी एकसाथ नहीं टापी होती हैं। लेकिन जैसा कि फिल्म ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ में दिखाया है, ऊपर जाने से पहले लोग लाइफ का थ्रिल और रिस्क का भरपूर मजा उठाना चाहते है. और ये मजा वो फ़तेह सागर की पाल पे तेज बीके या कार चला के या फिर कुछ नहीं तो बन्सियो चल के ही उठा लेते हे ,

 अबे कोई पुलिस नहीं हे

ये जुमला हम शहर के हर चोराहे पर युवा बाइकर से सुन सकते हे और वो इसी मोके में रहते हे के चाहे सिंग्नल पर लाल लाइट हो बस जल्दी निकलना हे , और ग्रीन लाइट होने के १० सेकंड पहले सब निकलने का रिस्क हर बुध जवान , महिला लेलेती हे , और हमारी पुलिस भी उनका चलन बनाने का रिस्क नहीं लेती , आखिर वो रिस्क लेके जो लाल लाइट में निकले हे

 एकदम मस्त चलेगा

अरे यार, देखो न साफ इंस्ट्रक्शन लिखी हुई है कि सिर्फ ओरिजिनल पार्ट्स ही चलेंगे। लेकिन उदयपुर वाले ऐसी सभी बातों का तोड़ रखते हैं और उनकी इसी सोच को सलाम करती है यहां की कई पुरानी गली मार्केट्स। आपको जहां नकली सीडी, वॉच आदि के पार्ट्स और सबसे ज्यादा बेधड़क पाइरेटेड सॉफ्टवेयर मिलते हैं। इसके रिस्क जानकर भी अक्सर लोग सस्ते में काम बनने का मोह नहीं छोड़ पाते!

 बिना तैयारी के एग्जाम

बस भगवान-भगवान करते हुए एग्जाम हॉल में घुस जाना। क्वेश्चन देखकर फिर खुश होना कि चलो बॉस, आज का रिस्क लेना भारी नहीं पड़ा। आम तौर पर ये उन लोगों की लाइफ का फंडा होता है, जिन्होंने पूरे साल न पढ़ने की कसम खा रखी होती है। ऐसे ही कुछ डेयरिंग स्मार्टी, ऑफिस के प्रेजेंटेशन में भी अपना करतब दिखाने से बाज नहीं आते।

 कम फ्यूल में लंबा सफर

‘ ना जाने ले जाएगी अब ये मंजिल हमें कहां..’ गाते-गाते बिना फू ल फ्यूल बॉक्स भरे कुछ हटकर और नया करने की सोचकर मनमौजी निकल चलते हैं। आखिर वापस आकर बताना भी तो होता है न कि देखो हमने इतनी दूर ऐसे सफर किया। हालांकि यह पूछना बेकार है कि इस रिस्क के साथ कैसे पूरा किया!

बिना जानकारी, जाने दुनिया सारी

अरे ये तो वही स्कीम है, जिसका तगड़ा रिटर्न आता है। भर दो, भर दो, अच्छी स्कीम है। इस आधी-अधूरी जानकारी में फंसकर जो बेचारा इन्वेस्ट करता है, एक समय के बाद वह किसी को कुछ कहने लायक बचता ही कहां है! वह तो फिर बाद में नहीं पता, बताकर अपनी इंटेलिजेंस का मजाक बनवाने से बचता फिरता है।

 अनजान जगहों की सैर

अमां यार सोचना नहीं चाहिए, बस निकल पड़ो। ऐसा बोलबचन उन महान लोगों का तकियाकलाम है, जो वापस लौटकर कई दिनों तक अपने ट्रिप के दुख-दर्द सुनाकर सबको बोर कर देते हैं। एडवेंचर एलिमेंट्स से ज्यादा उनका पंगे लेकर लौटना भी उन्हें सुधार नहीं पाता!

 स्टंटबाजी को हरदम रेडी

तू बाइक से ऐसे रोल करके दिखा सकता है? अच्छा तुम 120 की स्पीड पर भी चला लेते हो! ऐसे हैरान-परेशान वाले सवाल जिनसे पूछे जाते हैं, वे तब तो बड़ी शेखी बघारते हैं, लेकिन उस रिस्क में जरा-सी भी चूक के जो जोरदार फटके पड़ सकते हैं, उसका डर कोई खुलकर नहीं दिखाता!

 डॉक्टरों के डॉक्टर

चाहे जेसी बीमारी हो हमारे उदयपुर वासी डॉक्टर बनने का रिस्क ले ही लेते हे और एक मिनट में ४ मेडिसिन के नाम बता देते फिर चाहे , उन मेडिसिन का कोई भी रिएकशन हो , और कुछ नहीं तो पुराने नुस्खे ही बता देते हे, जो मर्ज़ एक दिन में सही होना हे वो उनकी इस रिस्की आदत से १० दिन का मेहमान बन जाता हे

 तो ये थी हमारे उदयपुर वालो की कुछ रिस्की आदतें जो हर रोड हर घर हर गली में मिलजाएगी , हम ये ही दुआ करेगे की भगवन बचाए उन्हें इसे रिस्की खतरों से

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