हाईकोर्ट के फैसले पर बेबस नजर आ रहे निकायों के अधिकारी

Date:

प्रन्यास के बाद नगर परिषद ने नोटिस जारी किए

अध्यक्षों की बैठक में भी नहीं हो सका फैसला

उदयपुर, झील निर्माण निषेध क्षेत्र में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद नगर विकास प्रन्यास का अनुसरण करते हुए नगर परिषद ने भी नोटिस जारी कर दिए है। इधर मंगलवार को नगर परिषद में समिति अध्यक्षों की सम्पन्न बैठक में आमजन को राहत दिलाने पर कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका।

हाईकोर्ट के फैसले की तलवार के नीचे अब आमजन का कटना तय है। नगर परिषद के अधिकारियों की गलती का खामियाजा जनता को अपने जीवन भर की पूंजी से बनाये मकान को तोडकर भरना है। अधिकारी अब कोर्ट के फैसले के आगे मजबूर है जनप्रतिनिधियों को कोई रास्ता नहीं सुझ रहा है और आम जनता की नींद और खाना हराम हो चुका है।

जोधपुर हाईकोर्ट से फैसले की सत्यापित प्रति आने के बाद सभापति, उपसभापति, कमीश्नर और समिति अध्यक्षों ने बैठक कर चर्चा की अवैध निर्माण तोडने की सूची को लेकर उनकेा राहत महसूस पहुंचाने को लेकर काफी बहस हुई लेकिन बात किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। कमीश्नर सत्यनारायण आचार्य का कहना है कि लोगों की सूचि २०११ में नगर परिषद द्वारा हाईकोर्ट को भेजी थी जो अवेध निर्माणों की सूचि थी और अब फैसले के बाद सात दिनों में मकान खाली करने व खुद मकान तोडने के नोटिस जारी कर दिये है सात दिनों के पश्चात नगर परिषद खुद तोडेगी और उसका व्यय मकान मालिक से लेगी। विधि विशेषज्ञों की राय में हाईकोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद ना के बराबर है और नगर परिषद हाईकोर्ट में अपील नहीं कर सकती क्यों कि परिषद स्वयं पार्टी है। इधर जनप्रतिनिधि भी हाईकोर्ट के फैसले के आगे बेबस नजर आये क्यों कि जनता को राहत देने का कोई रास्ता नहीं सुझ रहा।

इकतालीस की सूचि सत्य से परे : जिन ४१ नामों की सूचि परिषद ने भेजी वह सिर्फ शिकायत के आधार पर थी किसी निर्माण को लेकर पडौसी या अन्य द्वारा की गयी शिकायत और उसको दिये गये नोटिस के आधार पर २०११ में परिषद के अधिकारियों ने आनन फानन में बिना देखे बिना भौतिक सत्यापन के उनके नाम उन ४१ मे जोड कर भेज दिये इसमें विसंगतियां इतनी है कि परिषद के अधिकारियों को ही नहीं पता कि निर्माण किसका तोडना है क्यों कि देवाली व अन्य कई जगह उनको भी नोटिस जारी हुए है। जिन्होंने २० वर्ष पूर्व मकान बनाये थे और हाल में आवश्यकतानुसार दूसरी मंजिल पर एक दो कमरों के निर्माण में पूरा मकान गिराने के आदेश है। जनप्रतिनिधि इससे असहमत और कमीश्नर हाईकोर्ट के आदेश के आगे खुद की गलती अब जनता को भुगतनी है।

झीलों ओर आयड नदी की सफाई का ठेका : हाईकोर्ट के डण्डे के बाद परिषद अधिकारी और जनप्रतिनिधि सिधे हो गये है। जिस परिषद ने बोर्ड की बैठक में झीलों की सफाई के लिए साफ मना कर दिया था वहीं परिषद अब झीलों और आयड नदी का सफाई का जिम्मा संभाल रखी है और सफाई के ठेके की पूरी तैयारी कर चुकी है। मंगलवार को समिति अध्यक्षों की बैठक में तय हुआ कि प्रशासनिक समिति की बैठक जल्द ही बुला कर सफाई के ठेके के टेण्डर निकाले जाएगें।

ज्ञापन सौपें : युआईटी से ७३ को नोटिस मिलने के बाद पीडितों ने एक जुट होकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा ओर आम जनता को राहत देेन की मांग की दिन में कुछ जनप्रतिनिधियों के साथ एकत्र होकर कलेक्टर को ज्ञापन दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

WinSpirit On-line casino Australia Finest Real money Gambling establishment inside the 2025

Рrіzе mоnеу саn оnlу bе wіthdrаwn аftеr wаgеrіng wіth...

Pin Up casino должностной журнал для забавы возьмите действительные аржаны

Исходить ограничения можно при помощи зеркала — другой ссылки в...

Confusione Aams Nota aggiornata dei casinò online sopra licenza

La basamento portiere nelle scommesse in Italia, presenta un...