फिल्म समीक्षा – नेहा राज

रा-वन शाहरुख़ खान की ऐसी महत्वकांशी योजना थी जिसमे उन्होंने दिल खोल के रूपये खर्च किये , फिल्म की कहानी उन्होंने बच्चो को ध्यान में रख कर बनायीं हे ,और उन्होंने ने जिस तरह से फिल्म पर पैसा बहाया हे उस हिसाब से तो फिल्म के स्पेशल इफेक्ट होलिवुड की बराबरी नहीं कर पाए लेकिन फिर भी तारीफ करनी होगी की तकनिकी हिसाब से यह फिल्म भारत में निर्मित अब तक की सब से सर्व श्रेष्ठ फिल्म हे , और शाहरूख की तारीफ करनी होगी के उन्होंने इतने ज़ोरदार इफेक्ट भारत में ही फिल्माए ,

यह सही हे की फिल्म होलिवुड की साइंस फिल्मो का मुकाबला नहीं करपाती लेकिन फिर भी उसने पीछे नहीं रही हे , और इससे यह सिद्ध हो गया हे की भारत अब फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कही भी पीछे नहीं हे ,

फिल्म की कहानी शेखर से शुरू होती हे , शेखर एक कंप्यूटर प्रोग्रामर हे और उसकी पत्नी सोनिया (करिश्मा कपूर ) और बेटा प्रतिक (अरमान ) हे, बेटा अपने पिता को बहुत कमज़ोर महसूस करता हे . और अपने बेटे की विचार धारा बदलने के लिए शेखर एक ऐसा गेम बनता हे जिसमे खलनायक रा-वन नायक से ज्यादा ताकतवर हे , और उसको कोई नहीं मार सकता , फिल्म में कुछ इसी चमत्कारिक घटनाएं होती हे की खलनायक रा-वन असली में जीवित हो जाता हे , और गेम में प्रतिक ने रा-वन को हरा दिया होता हे तो वह उसको मारने के लिए उसकी तलाश करता हे और उसके पिता शेखर को मार देता हे . तब प्रतिक उसके पिता के बनाये दुसरे किरदार जी-वन को लड़ाई में उतारता हे और रा- वन के खिलाफ लड़ाई में जीतता हे ,

तकनिकी द्रष्टि से शाहरुख़ खान का यह बेहद सराहनीय प्रयास हे , और 3d में तो इसके इफेक्ट देखते ही बनते हे , अभिनय में शाहरुख़ बोहत प्रभावी रहे हे अरमान और अर्जुन राम पाल का काम भी बहुत अच्छा लगा , करीना कपूर खुबसूरत लगी हे , उनपर फिल्माया गीत छम्मक छल्लो बहुत अच्छा रहा हे .अभिनव सिन्हा ने हर द्रश्य बहुत तन्मयता से फिल्माया हे , कुल मिला कर रा-वन पूरा पैसा वसूल और अच्छी फिल्म हे जिसको बच्चे हर बार देखना पसन्द करेगे

 

Previous articleलक्ष्मीजी की आरती
Next articleखुशियों की बहार ऐसी आई कि, हर घर को रोशन कर गयी (उदयपुर में दिवाली की धूम )

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here