पुलिस प्रशासन खामोश

उदयपुर , उदयपुर से 80 की.मी. दूर कपासन में में पुलिस की अनदेखी के चलते क्षेत्र की युवा पीढी अवैध मादक पदार्थो की लत का शिकार होकर बर्बादी के दलदल में दम तोड रही है। कपासन का ग्रामीण क्षेत्र प्रमुख मादक पदार्थ अफीम की पैदावार के रूप में जाना जाता है जिसके कारण स्वाभाविक सुनियोजित तरीके से धडल्ले से किया जा रहा है। यही कारण है कि पिछले दो वर्षो में कपासन पुलिस को अवैध मादक पदार्थो की तस्करी रोकने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त नहीं हुुई है। इस गौरखधंधे को अंजाम देने के लिए इन तस्करों द्वारा क्षेत्र की युवा पीढी को नशे की लत का शिकार बनाकर भोले भाले गरीब युवकों का उपयोग कर इनकी जिंदगी बर्बाद की जा रही है। गरदुल्लों के गढ के रूप में विख्यात प्रतापगढ शहर के बाद कपासन शहर में गरदुल्लों की फौज दिन दुगुनी चार चौगुनी गति से बढ रही है इसके लिए मुख्य रूप से स्थानिय पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है।

जहां २-३ वर्षो पूर्व शहर में गरदुल्लों का नामोनिशान नहीं था वहीं आज शहर की गली गली में गरदुल्लों का आतंक है जो प्रतिदिन छोटी मोटी चोरियों को अंजाम देते हुए अपनी नशे की हवस पुरी करने का जुगाड करते है। पुलिस द्वारा आज तक प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई और न ही बीते ३ वर्षो में प्रशासन द्वारा नशे की लत का शिकार बने स्थानिय युवाओं का जीवन संवारने का प्रयास किया गया। मजेदार बात यह है कि क्षेत्र के इन सैकडो का गरदुल्लों को प्रतिदिन नशीली सिगरेट के सप्लायर आज तक पुलिस की पहुंच से दूर क्यों है। पुलिस की ऐसी क्या मजबूरी है जो देश की युवा पीढी के साथ मौत का तांडव करने वाले इन सौदागरों के खिलाफ कार्यवाही करने में लाचार है या फिर सब कुछ जानकर भी अनजान है।

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