झीलों का शहर उदयपुर दुनिया में अपनी खूबसूरती के कारण खासी पहचान बना चुका है। हर शख्स के जहन में उदयपुर का नाम आते ही एक सुकून का अहसास होता है। लेकिन इन दिनों इस शहर को किसी कि नजर लग गई। शासन में बैठे लोग मिलकर इसकी छवि को बर्बाद करने में लगे हुए है। क्या मिडिया,क्या पुलिस और क्या अधिकारी। माहौल देखकर तो एक शेर याद आ जाता है

 

‘‘बर्बादे गुलिस्तां करने को जब एक ही उल्लू काफी था

हर शाख पर उल्लू बैठे हैं हाल ए गुलिस्तां क्या होगा।’’

हर कोई शहर में खौफ फेलाने का काम दिल खोलकर कर रहा है। आलम ये हो गया है कि चाय की थड़ियों पर चुस्कियां लेेते, पान की दूकानों पर धुंआ उड़ाते समय लोगों के चेहरांे पर दिखता डर पूरी कहानी बयां कर देता है कि उदयपुर में गुण्डाराज आ गया। सभी ने मिलकर एक हार्ड कोर क्रिमिनिल को इतना प्रसिद्धि दे दी की शहर के बच्चे बच्चे की जुबान पर उसी के चर्चे हैं। भूमाफियाओं के हौंसले बुलंद हो गए है और छोटे व्यापारियों से लेकर बडे बिल्डरों तक की नींद उड़ गई है। रात दिन जहन में यही सवाल रहता है कि हम कस पर भरोसा करें,जिम्मेदार तो खुद ही अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं।

 गुनहगार कौन ????

 सोहराबुद्दीन और तुलसी एनकाउन्टर में सीबीआई के एक मात्र गवाह सिलवेस्टर की इन दिनों शहर में खूब चर्चा हो रही है। पुलिस की कैद से फरार होने के बाद महज 26 घण्टों में पुनः गिरफ्तारी के बीच के बयानों में अभी तक ये पुष्टि नहीं हो सकी है कि आखिर सत्यता क्या है। पुलिस जो कहती है वह मिडिया में आ जाता है और जनता तक पहंुच जाता है। काम को बेहतर दिखाने के लिए मिडियाकर्मी भी मिर्च मसाला डालकर इस पूरे घटनाक्रम को भयात्मक बनाने में लगे हुए है। कभी एक आईस्क्रीम व्यवसायी,मंत्री के रिष्तेदार और सिलवेस्टर के दोस्तों के उपर कहानी गढ़ दी जाती है तो कभी एक प्रोपर्टी डीलर में खौफ पैदा करने के लिए कहानी में पेच डाल दिए जाते है। करोड़ों की जमीन को हथियाने के लिए साजिष पहले रची गई थी या अब रची जा रही है ये समझ पाना कठिन हो गया है।

पिछले आठ दिनों से पूरा शहर खौफ के साए मे जी रहा है। टीवी पर नजर जाती है तो सिलवेस्टर को देखने और उसके बारे में सुनने की लालसा रहती है,सुबह उठते ही अखबार में उसी की खबर तलाषना जारी हो जाता है। आखिर ऐसा क्या हो रहा है……….

 सिलवेस्टर है कौन !!!!

लगभग 30 वर्षीय दीपू डेनियल उर्फ सिलवेस्टर। साढे पांच फूट की लम्बाई और ठीक-ठाक कद काठी। हमीद लाला के हत्याकाण्ड में शामिल होने से अपराध जगत में जाना जाने लगा, इसके बाद सोहराबुद्दीन और तुलसी एनकाउन्टर मामले में सीबीआई का एकमात्र गवाह होने से सुर्खियों में आया, गुजरात जैल में किसी अपराध की सजा काट रहा था। इससे ज्यादा ऐसे अपराधी की और पहचान बताने का तुक समझ नहीं आता। लेकिन हाल ही में सिलवेस्टर के नाम का इतना हव्वा बना दिया गया है कि हर कोई उससे डरने लग जाए। ऐसा क्यो हो रहा है इस पर विचार करना जरूरी है और हमें भी अपने दायरों को समझने की जरूरत है। किसी को खुषी नहीं दे सके तो कोई गम नहीं, लेकिन उसकी शान्ति छीनने का अधिकार भी नहीं रखते।

 सवाल जो चर्चा में है – 

-क्या सिर्फ गुजरात पुलिस ही दोषी है या……?

 -26 घण्टों के घटनाक्रम में किसकी बात पर विष्वास किया जाए……?

 -जमीन हथियाने की साजिष पहले रची गई या……..?

 -सिलवेस्टर के नाम से उदयपुर में नई गैंग की तैयारी तो नहीं ?

-शहर के उद्योगपतियों, बिल्डरों सहित व्यापारियों में खौफ फेलाने का फॉर्मूला तो नहीं ?

रिपोर्ट – मनु राव ( इन न्यूज़ , संपादक)

Previous articleहैयर स्टाइलिंग के लिए वर्ल्ड टूर
Next articleकरवा चौथ के साथ मांगी जीवनसाथी की सलामती

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here