उदयपुर, सिलिकोसिस खनन क्षैत्र के नाम पर किये गए पांच लाख रूपये की दवा घोटाले एवं मुख्यमंत्री निषुल्क दवा योजना की दवाईयां उंची कीमत पर बेचने के मामले की जांच कर रहे अधिकारी द्वारा जांच के नाम पर लीपापोती कर आरोपी को बचाने के प्रयास किये जा रहे है। बताया जाता है कि राजकीय सामान्य चिकित्सालय में सिलिकोसिस खनन क्षैत्र के प्रभावित मरीजो के उपचार के लिये राज्य सरकार द्वारा पांच लाख रूपये की दवा खरीद के लिये स्वीकृति दी गई थी । स्वामी विवेकानंद राजकीय सामान्य चिकित्सालय के तत्कालिन चिकित्सा प्रभारी डॉ. राजेन्द्र गुप्ता द्वारा टेण्डर प्रक्रिया के माघ्यम से अपनी चहेती फर्म द्वारा उक्त दवा खरीदी जाना बता कर सरकार को चूना लगा दिया । सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में जानबूझ कर अर्नगल जानकारी देते हुए तथ्यों को छुपाने का प्रयास किया गया । इस दवा घोटाले की जिला कलेक्टर को लिखित षिकायत करने पर मामले की जांच खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी दयाल वाधवानी को सौंपी गई । जांच अधिकारी द्वारा भी तमाम बिंदूओं को दर किनार कर जानबूझ कर घोटाले पर पर्दा डालने का प्रयास किया गया है। गौर तलब है कि क्षैत्र में सिलिकोसिस प्रभावित क्षैत्र मे विभाग द्वारा सर्वे कराया गया था जिसमें प्रभावितो की संख्या न के बराबर है फिर पांच लाख रूपये की दवा कहां गई। उसी प्रकार मुख्यमंत्री निषुल्क दवा योजना की दवाईयां अधिक कीमत पर बेची जाने का मामला उजागर होने के बाद जिला कलेक्टर सहित अन्य उच्च अधिकारियो को की गई षिकायत की जांच भी दयाल वाधवानी को सौंपी गई जिसके प्रमाण राज्य के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाषित हुए थे । लेकिन जांच अधिकारी वाधवानी उस पर भी लीपापोती कर आरोपी को बचा रहे है। षिकायत कर्ता द्वारा जांच अधिकारी से नही नही मिलने की उम्मीद में जिला कलेक्टर से किसी ईमानदार अधिकारी से जांच कराने की मांग की गई है।

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