दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस सम्पन्न

उदयपुर, । मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में संस्कृति, समाज, और लैंगिक परिप्रेक्ष्य में दक्षिणी एशिया के दलित समुदाय विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शनिवार को सम्पन हुई। संगोष्ठी के दूसरे दिन विभिन्न तकनीकी सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने विचार मंथन किया।

समापन समाराहे के मुख्य अतिथि आनन्द विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमएच मकवाना ने दलित अर्थशास्त्र को रेखांकित करते हुए कहा कि आज का दौर कडी स्पद्र्घा और महंगाई का दौर है इससे संघर्ष करना और रोजाना की जीवन की गाडी चलाना आम आदमी के लिए सबसे बडी चुनौती है। उन्होंने नई आर्थिक नीतियों के बाद हुए विकास और खुली अर्थव्यवस्था के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि हर ओर विकास की बात हो रही है लेकिन कामन मैन यानी आम आदमी फिर भी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि हम सब लोगों को मिल कर सोचना होगा कि आम आदमी का कल्याण कैसे हो। आदिवासियों, दलितो और वंचित वर्ग के लिए उन्होंने प्रभावी सरकारी योजनाओं की जरुरत बताई।

विशिष्ट अतिथि उदयपुर रेन्ज के पुलिस महानिरीक्षक टीसी डामोर ने कहा कि सफलता पाने का कोई छोटा रास्ता नहीं होता। संघर्ष और परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। उन्होंने अपने जीवन काल के दौरान किए संघर्ष के बारे में विस्तार से बताते हुए युवाओं से कहा कि हर व्यक्ति को अपना हक पाने की जिद होनी चाहिए।

सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो शरद श्रीवास्तव ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी दलित और वंचित वर्ग के लोगों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में एक बडी पहल मानी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी में ६०० पन्नों की एक स्मारिका का प्रकाशन किया गया है जिसमे १३० शोध पत्रों के निष्कर्षों को शामिल किया गया है। श्रीवास्तव ने कहा कि दलित विमर्श ओर दलित आन्दोलनों के बाद एक सबसे महत्वपूर्ण बात जो हम सबको समझनी होगी और है समरसता की बात। समाज में सामंजस्य या समरसता नहीं है तो समाज प्रगति पथ पर नहीं बढ सकता। अंतरराष्ट्रीय कांप्रे*न्स के आयोजन सचिव प्रो पूरणमल यादव ने विभिन्न सत्रों की जानकारी दी तथा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

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