dsc0046उदयपुर, फर्जी बीएसएनएल अधिकारी बनकर एक चिकित्सक के साथ ठगी करने के मामले में उदयपुर पुलिस के हत्थे चढे ठग गिरोह के मास्टर माइंड को चिकित्सकों से बहुत नफरत थी। इसकी कारण वह ठगी के लिए केवल चिकित्सकों को ही अपना निशाना बनाता था। अब तक यह आरोपी अपने साथियों के साथ मिलकर भारत के कई राज्यों में कई लोगों से लाखों रूपए ठग चुका है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार संजीवनी हॉस्पीटल के डॉक्टर अजय सिंह चुंडावत को बी.एस.एन.एल. के जीएम रूप में फोन करके मेडीक्लेम पॉलिसी का लालच देकर रिश्वत के रूप में ५ लाख रूपये मांगने के बहाने धोखाधडी के मामले में पुलिस की पकड में आए आरोप बृजेश पुत्र प्रहलाद तिवारी निवासी मनीपुर थाना बरूराज मुज्जफरपुर व प्रमोद पुत्र मुन्ना शर्मा निवासी भेरपुर थाना केण्ट गोरखपुर ने मास्टर मांईड पी. रमेश होना बताया था। जिस पर पी रमेश और इसके अन्य साथियों को पकडने के लिए जिला पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा के निर्देशन में आर पी एस प्रशिक्षु सुभाष मिश्रा के नेतृत्व में स्वाती शर्मा व थानाधिकारी भुपालपूरा सतीश मीणा के साथ एसआई दयाराम, कांस्टेबल बनवारी पुनिया, गोवर्धन, देवेन्द्र, विश्वेन्द्र, गोविन्द की टीम का गठन कर भीलवाडा भेजी। इधर भीलवाडा पुलिस ने मास्टर माइण्ड रमेश प्रजापती पुत्र स्व. रामसुभग निवासी ग्राम भृगुसरी पोस्ट वेल कुण्डा थाना रूद्रपुर, देवरीया उतर प्रदेश, इसके दो साथी मंगरू पुत्र रानूहरा प्रजापती निवासी कालाबन्द थाना गोरी बाजार, देवारीया उतर प्रदेश, सुरेश पुत्र सुन्दर निसाद जिला केवट गोरखपुर उतर प्रदेश को गिरफ्तार कर चुकी थी।

भीलवाडा पुलिस ने इन आरोपियों के पास से दर्जन भर मोबाईल व एक दर्जन नयी पुरानी सिमे व एक लेपटाप, एक टेबलेट व वेब कैमरा व करीब ६०-६५ लिफाफे जिस पर बी.एस.एन.एल. की फर्जी सिल व फर्जी हस्ताक्षर किये हुए, ऑफर लेटर व अलोटमेन्ट लेटर जिन पर अलग-अलग जगहो के अलग-अलग डाक्टरो के नाम भरे हुए बरामद किए थे। उदयपुर से गई टीम इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर उदयपुर लेकर आ गई।

नेवी की नौकरी छोडकर आया ठगी की लाईन में : पुलिस के अनुसार मुख्य सुत्रधार रमेश प्रजापत नेवी में पेटी ऑफिसर की नौकरी करता था। १५ साल बाद रिटायर्डमेन्ट ले लिया। इसके बाद एक नाईजिरीयन महिला द्वारा धोखाधडी करने के कारण कंगाल हो गया। अपने होटल का बिल चुकाने के लिये कानपुर में एक कम्प्युटर के दुकान करने वाले के साथ धोखाधडी की थी, जिसमें पुलिस ने उसे पकड लिया। जेल में रहने के दौरान रमेश का परिचय वी. के. स्वामी नाम के आदमी से मुलाकात हुई, जिसने रमेश को धोखाधडी का नायाब तरीका बताया। जेल से बाहर आकर रमेश ने स्वामी के साथ मिलकर देहरादुन में तीन डाक्टरो के साथ ६. लाख की ठगी की। वारदात के कुछ दिनों के बाद रमेश को पुलिस ने पकड लिया गया और ६ माह जेल में रहने के बाद में आरोपी ने स्वयं का काम करना शुरू किया। जिसमें एक अन्य साथी मंगरू के साथ मुम्बई और औरंगाबाद में ५-५ लाख की ठगी की, इसके बाद पुन: मुम्बई में ५ लाख की ठगी करने के दौरान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मुम्बई में ५ महिने जेल में रहकर उसने अपने साथी बृजेश तिवारी व सुरेश को भी अपने साथ मिला लिया। भटीण्डा में ५ लाख, बरेली में ३ लाख, कलकत्ता में ३ लाख की ठगी की।

आखिर में राजस्थान और गुजरात को चुना : देश के कई हिस्सों में ठगी करने के बाद आरोपी राजस्थान व गुजरात में ठगी करने की सोची और छोटे कस्बों का चयन किया। जिसमें उदयपुर, भीलवाडा व बांसवाडा, मेहसाणा (गुजरात) का चयन किया। उदयपुर में ५ हास्पीटल के डाक्टरो से बीएसएनएल के जी.एम. के रूप में बात की। जिसमें संजीवनी हास्पीटल, कल्पतरू हॉस्पीटल, स्टार हॉस्पीटल व गोयल हॉस्पीटल में बात की। जिसमें संजीवनी हॉस्पीटल के डाक्टर अजय सिंह चुण्डावत ने सकारात्मक जवाब दिया। भीलवाडा में विभा हॉस्पीटल, मिश्रा किरण हॉस्पीटल में बातचीत की। मिश्रा ने सकारात्मक जबाव दिया। इसके बाद बांसवाडा व मेहसाणा में ठगी करने का था।

इस तरीके से करता था ठगी :मास्टर माइंड रमेश प्रजापत चार भाषा अगे*जी, हिन्दी, मराठी, तेलगु का अच्छा जानकार है। कम्प्युटर व आई.टी. का भी अच्छा जानकार हैं। वी.के. स्वामी के साथ वारदात करने बाद धोखाधडी के सभी तरीके जिसमें अलग-अलग जगहो की वेबसाईट के माध्यम से बीएसएनएल विभाग के अलग-अलग जी.एम. अधिकारीयों के बारे में जानकारी डालनलोड करके कम्प्युटर से फर्जी आई.डी. निकालने व फर्जी सिल तैयार कर वारदात करता था। जिसमें फर्जी आई.डी. से सिमे खरीदकर काम में लेते थे। पहले डाक्टर से फोन पर बात करके जी.एम. के रूप में अपनी पहचान देता था व स्कीम के बारें बताता था, व साथी को भेजकर ऑफर लेटर भिजवाता था। सकारात्मक जबाव मिलने पर पुन: अपने साथी को भेजकर अलोर्टमेन्ट दिलवाता था व रिश्वत के रूप में राशी को अपने साथी को दिलवाता था। रमेश प्रजापत कभी भी वारदात की जगह स्वंय नही जाता था।

चिकित्सकों से थी नफरत : पुलिस पूछताछ में मास्टर माइंड रमेश ने बताया कि उसे चिकित्सकों से खासी नफरत थी। उसने बताया कि उसके पिता की बीमारी के लिए वह चिकित्सक के पास गया था। जहां पर चिकित्सक ने उससे १.५० लाख रूपए की मांग की थी। उस समय उसके पास केवल ५० हजार रूपए ही थे, परन्तु चिकित्सक १.५० लाख से कम में ईलाज करने को तैयार नहीं था। इसी दौरान उसके पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद से ही आरोपी ने चिकित्सकों को ही ठगी के लिए चुना। अधिकांश चिकित्सक ठगी का शिकार होने के बाद किसी को बताते नहीं थे, इसी कारण पता नहीं चलता था।

Previous articleदूध दान के प्रति माताओं को रूझान बड़ा
Next articleरिंग रोड के लिए एक होटल कि जमीन को आवाप्त करने मे पसीना आरहा है यु आई टी को
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here