उदयपुर, दो दिन पूर्व उदयपुर से जयपुर के बीच शुरू हुई होली डे एक्सप्रेस राजनैतिक खिंचतान का अखाडा बन गया। सब अपनी अपनी डपली लेकर अपना अपना राग आलाप रहे हे। और इस को चलाने में अपने जनप्रतिनिधि का विशेष योगदान बता रहे है जबकि हकीकत कुछ और ही है।

कुछ समय पूर्व रेल्वे के आला अधिकारी उदयपुर दौरे पर आये थे तब उन्होंने यह महसूस किया कि जयपुर के लिए सुबह इंटरसिटी ट्रेन के बाद रात को ही ट्रेन है सुबह के १७ घंटे अंतराल के बाद दूसरी ट्रेन है जबकि अगर बीच में दिन में कोई जयपुर की स्पेशल ट्रेन चलाई जाये तो ट्राफीक भी अच्छा रहेगा। रेल्वे को भी लाभ होगा और जनता को भी सुविधा मिलेगी।

उन आला अधिकारियों के प्रस्ताव से होली डे एक्सप्रेस ट्रेन को दिन में चलाने प्लान किया और यह ट्रेन चलाने के आदेश हुए। उल्लेखनिय है कि होली डे एक्सप्रेस यात्रियों के अत्यधिक भार को त्यौहारों और छुट्टियों के दिनों में खास तौर पर चलायी जाती है जिसमें रेल्वे और जनता दोनो को लाभ मिलता है। अब यहां जनता की सुविधा के लिए रेल्वे के आला अधिकारियों द्वारा किये गये प्रस्ताव को राजनैतिक दल भुनाने का प्रयास कर रहे हे। भाजपा झण्डे गाढने में लगी है कि शहर विधायक गुलाब चंद कटारिया के प्रयासों से यह ट्रेन चली ओर इस खुशी में आवेश में जिलाध्यक्ष और सभापति सहित वरिष्ठ जनप्रतिनिधि सारे नियम कायदों का ताक में रख कर कहीं इंजन पर चढकर तो कहीं पटरियों पर दौड कर खुशियां मना रहे है भाजपा के झण्डे लहरा रहे हे। इधर कांग्रेसी भी पीछे नहीं वे कोशिश कर रहे है कि उनके सांसद या ग्रामीण विधायक का नाम हो जाये जबकि उन्ह तो होली डे एक्सप्रेस शुरू हो जाने के तीन दिन पहले हवा भी नहीं थी कि कोई ट्रेन शुरू हो रही है। और यह सांसद रघुवीर मीणा और गिरजा व्यस के सिर सेहरा बांध रही है। तथा भाजपाईयों के खिलाप* इंजन पर चढने पटरियों पर दौडने पर कानुनी कार्यवाही करने का ज्ञापन दे रहे है।

इस सारे मामले में रेल्वे अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। मुकाबला जारी है होली डे एक्सप्रेस का सेहरा किस के सिर बंधता है।

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