उदयपुर। रविवार देर रात ११.३० बजे तेज अंधड़ के साथ कहीं हलकी तो कही तेज बारिश हुई। इस आधे घंटे के मामूली अंधड़ और करीब २० मिनट की खंड वर्षा ने शहर के हालात ही बदल दिए, कही होर्डिंग और पेड़ गिरे हुए थे तो दूसरी तरफ शहर अंधेरों में डूबा हुआ था। झीलों की नगरी जहाँ स्मार्ट सिटी में शुमार उसके हाल मात्र 45 मिनट में गाँव से भी बदतर हो गए।
स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार अपने घरों में इनवेटर, और जनेटर लगा कर आराम फरमा थे और शहर के अधिकाँश हिस्सों में घरों में बैठी माँ आधी रात को उठ कर अपने बच्चों को हाथ से पंखा झल रही थी। ये हाल है इस स्मार्ट सिटी की स्मार्ट बिजली व्यवस्था के, साथ ही स्मार्ट नगर निगम की स्मार्ट व्यवस्था के कि हर रोड पर एक पेड़ धराशाई था।
एवीएनएल चार महीने पहले से इस स्मार्ट सिटी की रखरखाव के लिए बिजली में कटौती शुरू कर देता है। रखरखाव की जगह बिजली विभाग भीषण गर्मी में भी सिर्फ लोगों को परेशां कर के आराम की नींद निकालता है। रखरखाव बिजली विभाग का इसी बात से आंका जा सकता है कि मात्र ५ मिनट भी अगर तेज़ हवा चले तो आधे शहर की बिजली गुल हो जाती है।
हवाएं का एक झोका बिजली के तारों में शार्ट सर्किट करने के लिए काफी है। ऐसे में अगर प्राकृतिक आपदा के तहत तूफ़ान का एक अंश भी शहर की तरफ बढ़ता है तो शहर में चार दिनों तक बिना बिजली के निकालनी पड़ सकती है।
समाचार पत्रों में पिछले डेड साल से पढ़ते आरहे है कि उदयपुर शहर स्मार्ट सिटी हो गयी है। लेकिन बस ये बात सुन कर ही खुश हो सकते है क्यूँ कि यहाँ स्मार्ट जैसा अभी तक कुछ नहीं हुआ है। स्मार्ट सिटी की सबसे पहली ख़ास बात होती है बिजली की सुचारू व्यवस्था जिसमे २४ घंटे बिजली और सारी केबल अंडर ग्राउंड होती है, लेकिन इस बारे में अभी तक एक भी स्मार्ट कदम नहीं उठाया गया। कई बार तो हाल यह हो जाते है कि न हवा ना आंधी सिर्फ 10 मिनट की हलकी फुहार में १२ घंटे बिजली गुल रहती है। स्मार्ट सिटी छोड़ो एक आदर्श गाँव में भी इससे अच्छी स्थिति होती है।
अंधड़ आकर गए 14 घंटे हो गए है इसके बावजूद शहर के कई हिस्सों में रात से लाईट नहीं है। इस स्मार्ट व्यवस्था के लिए उदयपुर पोस्ट बिजली विभाग का बहुत बहुत धन्यवाद देता है,.. शहर वासियों की भी शहनशीलता को साधुवाद प्रेषित करता है.

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