meruth-buchadkhane-01-44-1490189542-187588-khaskhabar

पोस्ट . उत्तर प्रदेश में, मांस उत्पादन के खिलाफ की गई कार्यवाही, गैर-कानूनी रूप से संचालित बूचडखानों को बंद कराने से कहीं ज्यादा बडा रूप लेती जा रही है। नयी योगी सरकार की नीतियों का प्रभाव क्षेत्र बढता जा रहा है-इससे ‘‘मटन‘‘ एवं ‘‘चिकन‘‘ के साथ ही, अण्डों की उपलब्धता भी प्रभावित हो रही है।
लखनऊ में मुर्गा मण्डी एवं बकरा व्यापार संगठनों ने, बीफ व्यापार के साथ हमदर्दी प्रकट करने के उद्देश्य से, अनिश्चितकालीन हडताल की घोषणा कर दी है। भाजपा सरकार के इरादों की अनिश्चितता तथा अनेक बूचडखानों पर हुये हिंसक हमलों से पैदा हुये भय के कारण यह उद्योग ठप्प सा पड गया है।
पूरे राज्य में मांस एवं मुर्गा बाजार में, मटन तथा बॉइलर चिकन की सप्लाई में भी कमी आ गई है तथा इस स्थिति के कारण अण्डों तक की कीमतें काफी बढ गई है। नोएडा तथा गाजियाबाद जैसे कुछ शहरों के होटलों, रैस्टोरेन्टों तथा ढाबों ने, कानपुर एवं लखनऊ से मिल रही मांस आपूॢत के गंभीर संकट की खबरों के चलते, सभी मांसहारी व्यंजनों की कीमतें बढा दी हैं।
इसके साथ ही, सब्जियों की मांग आसमान छूने लगी है तथा इसके फलस्वरूप, थोक एवं खुदरा दोनों ही स्तरों पर हरी सब्जियों के भावों में एकाएक उछाल आ गया है। व्यापारियों का कहना है कि अगर हडताल के कारण लम्बे समय तक चिकन तथा बकरे के मीट मांग के उत्पादन एवं आपूॢत का संकट जारी रहता है, तो प्रोटीनयुत्त* दालों की कीमतों में जबरदस्त वृद्घि होने तथा उनके भाव २०१५ की स्थिति तक पहुँचाने की संभावना है।
चिकन तथा मटन के डीलरों द्वारा किया गया ह$डताल का आव्हान, वैध बीफ-व्यापार के समर्थन एवं एकता जताने के अलावा चौकसी रखने वाली टुक$िडयों द्वारा मटन एवं चिकन उत्पादक इकाइयों को निशाना बनाने की संभावना से उपजे डर का नतीजा भी है। इनमें से अधिकांश अनौपचारिक क्षेत्र में हैं तथा दशकों से बिना किसी लाइसैंस के चल रही हैं। मांस की दुकानों तथा फेरीवालों को डराने-धमकाने तथा आगजनी तक की खबरें भी मिली हैं तथा इन घटनाओं से, खासतौर से अल्पसंख्यक समुदाय के विभिन्न वर्गों में, आजीविका के साधनों के नष्ट होने तथा शारीरिक क्षति की आशंकाएं ब$ढती जा रही है।
920x920मांस-व्यापार के प्रतिनिधियों को यह समझाने में परेशानी हो रही है कि मटन तथा मुर्गी उत्पादों के हजारों उत्पादकों एवं डीलरों द्वारा बिना लाइसैंस के काम करने का एक कारण यह भी है कि लखनऊ सहित, यू पी के अनेक शहरों एवं कस्बों के स्थानीय निकायों में, इन लोगों ने लाइसैंस के नवीनीकरण हेतु जो आवेदन किए थे वे सालों से धूल फाँक रहे हैं। इस स्थिति के परिणामस्वरूप, लम्बे समय से संचालित वैध प्रतिष्ठान भी अब तकनीकी रूप से अवैध श्रेणी में आ गये हैं, जबकि उनकी इस स्थिति का एक मात्र कारण स्थानीय निकायों की गैर जिम्मेदारी एवं लापरवाही तथा अधिकारियों की उदासीनता ही है।
एकाएक की गई इस कार्यवाही से सबसे ज्यादा प्रभावित बिना लाइसैंस वाले बूच$डखाने, सप्लायर तथा खुदरा विक्रेता हुये हैं तथा वे मांग कर रहे हैं कि नये मुख्यमंत्री को अपनी इस नयी नीति के बारे में स्पष्ट बयान देना चाहिये।
सरकार को उन स$डक-छाप हिन्दुत्ववादी एक्टिविस्टों पर लगाम लगानी चाहिये जो पूरे के पूरे मांस उद्योग एवं व्यापार-व्यवसाय को ज$ड-मूल से नष्ट कर देने के मूड में दिखाई दे रहे हैं। इन व्यापारियों में भैंसे के मांस के वैध निर्यातक भी शामिल हैं।
घोर भ्रमपूर्ण एवं भय का वातावरण पैदा कर देने को लेकर यू पी की नयी सरकार की भी आलोचना हो रही है क्योंकि सरकार ने ऐसी कोई गाइड लाइन जारी नहीं कीं, वैध एवं अवैध मांस-व्यापार के बीच स्पष्ट अंतर दर्शाती हों। इसके अतिरित्त*, रजिस्ट्रेशन तथा लाइसैंस-नवीनीकरण के लिये तर्कसंगत समय-सीमा भी नहीं बताई गई है।
ऐसी सूचनाएं हैं कि यू पी के अलग-अलग शहरों में उत्पादकों, ट्रांसपोर्टरों, डीलरों तथा फेरीवालों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन पूरे राज्य में स्थित अपने जैसे प्रभावित लोगों से संपर्क साधने में जुट गये हैं तथा संगठित होने की कोशिश कर रहे हैं ताकि योगी सरकार की इस क्रूर नयी नीति के खिलाफ एकजुट होकर कोई कदम उठाया जा सके।
उनका मूल विचार है कि खुद को अपने परिवारों को तथा आजीविका के स्रोत को खानपान की पवित्रता की जिम्मेवारी उठाने वाले स्वयं भू एक्टिविस्ट के हाथों नष्ट होने से बचाना है।
सत्य यह है कि कुछ सबसे ब$डी बीफ निर्यातक कम्पनियां जिनके मुखिया बहुसंख्यक समुदाय के लोग हैं, यह उम्मीद दे रहे हैं कि नई सरकार उनकी बात को पूरे ध्यान से सुनेगी।
हालिया चुनावों में भाजपा जिस भारी बहुमत से जीती है और जिस प्रकार से एक भगवाधारी साधु को मुख्यमंत्री बनाया गया है उससे ऐसा माहौल बन गया है कि सत्तारू$ढ पार्टी के सांसद व विधायक खुल कर कुछ भी कहने से डर रहे हैं हालांकि निजी तौर पर उनकी सहानुभूति मीट उद्योग के साथ है।
मौजूदा स्थिति में इस उद्योग से जु$डे कोई लोग महसूस करते हैं कि राज्य व्यापी अनिश्चित कालीन ह$डताल तथा राहत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना ही उनके लिए एक मात्र विकल्प है।
इसी बीच सरकारी हलकों में चर्चा है कि नई दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रियों के साथ वार्ता में आदित्यनाथ योगी ने उन्हें इस बात के लिए मना लिया है कि अमृतसर की तर्ज पर जिन पवित्र शहरों को बहु आयामी विकास के लिए चुना गया है, उसमें गोरखपुर को भी शामिल किया जाए। इस प्रकार इस लिस्ट में अब ५ शहर शामिल हो गए हैं-अयोध्या, आगरा, मथुरा, वाराणसी एवं गोरखपुर। यह देखना बाकी है कि क्या इन शहरों में धर्म क्षेत्र संंबंधी पवित्रता कायम रखने के लिए मीट के इस्तेमाल पर रोक का आदेश लगाया जाएगा।

Previous articleहिन्दुस्तान जिंक ने लाभांष के सभी रिकाॅर्ड तोड़े – 13,985 करोड़ रुपये का विषेष लाभांष
Next articleमसाज कराने गयी विदेशी युवती के साथ अश्लील हरकत – झीलों की नगरी फिर हुई शर्मसार

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here