सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा | 2011 से 16 तक एमएलए लेड का एक हजार करोड़ रुपया जिला परिषदों के खातों में ही पड़ा रहा 

न्यूज़ पोस्ट. जनतासे जुड़े विकास कार्यों के लिए विधायकों को मिलने वाला फंड का बड़ा हिस्सा खर्च ही नहीं हो पा रहा। जो पैसा खर्च हो भी रहा है उसमें भी भारी गड़बड़ियां सामने रही हैं। मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई स्थानीय निकाय की वार्षिक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया कि 2011 से मार्च 2016 तक एमएलए लेड की 21 प्रतिशत राशि ही खर्च की जा सकी। मार्च 2016 के आखिर में एमएलए लेड में 1093 करोड़ रुपए जिला परिषद के खातों में अनुपयोगी पड़ी थी। सीएजी ने एमएलए लेड को लेकर पांच जिलों की सेंपल ऑडिट की। इसमें बीकानेर, हनुमानगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर राजसमंद शामिल हैं। इन पांचों जिलों में 2011 से 2016 तक एमएलए लेड का कुल 23 प्रतिशत फंड ही इस्तेमाल किया जा सका 122 करोड़ रुपए जिला परिषदों के खातों में अनुपयोगी पड़े रहे। इसमें बांसवाड़ा में 26 करोड़, बीकानेर में 30 करोड़, डूंगरपुर में 20 करोड़, हनुमानगढ़ में 17 करोड़ रुपए खर्च नहीं किए गए।

काम हुआ ही नहीं लाखों का भुगतान उठा लिया
बांसवाड़ा,बीकानेर राजसमंद में एमएलए लेड से करवाए गए कामों में भारी गड़बडिय़ां मिलीं। इसमें 28 लाख के भुगतान फर्जी पाए गए। जांच में पता चला कि जिन कामों का हवाला देते हुए यह भुगतान उठाया गया वह हुए ही नहीं। कई काम ऐसे किए गए जो एमएलए लेड में स्वीकृत ही नहीं थे। बांसवाड़ा राजसमंद में करीब 92 लाख रुपए सीमेंट की सड़कों के निर्माण के लिए खर्च किए गए। जांच में पता चला कि इनमें 20 लाख का फर्जी भुगतान किया गया।

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