डेंगू के मरीजों की जा सकती है आंखों की रोशनी, मुंंबई में डेंगू रोगियों के अंधे होने की मिली शिकायत, चिकित्सा विभाग सतर्क

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उदयपुर। डेंगू को अब तक जान का दुश्मन माना जाता रहा है, लेकिन कुछ मामले ऐसे आए हैं, जिनमें डेंगू रोगियों की आंखों की रोशनी चली गई है। ऐसे मामले अभी मुंबई में सामने आए हैं, जिन पर रिसर्च शुरू हो गई है। इधर, २०१४ में जिले में चार और संभाग में २० से अधिक डेंगू रोगी पाए गए थे। डेंगू के कारण आंखों की रोशनी चले जाने के मामले ने चिकित्सकों की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में मुंबई के विभिन्न अस्पतालों के रिकार्ड के अनुसार डेंगू से पांच लोगों की आंखों की रोशनी छिन गई है। डेंगू को अब तक जानलेवा माना जाता था, लेकिन मरीजों के आंखों की रोशनी जाने से इस रोग को लेकर नई रिसर्च शुरू हो गई है। इस रोग से आने वाले अंधेपन के रहस्यों की जानकारी जुटाई जा रही है।
मुंबई के आदित्य ज्योति आई स्पेशलिस्ट अस्पताल में डेंगू से अंधे होने के तीन मामले सामने आ चुके हैं। इसमें से दो मरीजों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है। 20 वर्षीय मरीज विशाल नवाले की आंखों की रोशनी वापस लाने में डॉक्टरों ने सफलता हासिल की है। नेत्र विशेषज्ञ डॉ. राधिका कृष्णन का कहना है कि उनके कॅरियर में आज तक उन्होंने डेंगू से किसी मरीज की आंखों की रोशनी जाते हुए नहीं देखा और ना ही सुना। इस केस के बाद मुंबई के डॉक्टर सकते में है। विशाल के पहले आए दो मरीजों की आंखों की रोशनी नहीं बच सकी।
वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू से आंखों की रोशनी चले जाना सिर्फ किताबों में ही पढ़ा था, लेकिन ऐसे मामले पहली बार ही सामने आए हैं। पिछले 20 साल से प्रेक्टिस कर रही आई स्पेशलिस्ट डॉ. रेणु दोषी का कहना है कि आंखों का और डेंगू का कनेक्शन दिमाग से है और डेंगू से आंखों की रोशनी जाने का हवाला किताबों में दिया हुआ है। इस तरह के केस बहुत काम होते हैं। समझने की जरूरत इस बात कि है कि किन कारणों की वजह से डेंगू से अंधापन होता है।
राजस्थान में भी अलर्ट की जरूरत : डेंगू से राजस्थान भी अछूता नहीं है। हर वर्ष उदयपुर संभाग सहित राजस्थान में ही डेंगू से कई लोगों की जाने जाती है। उदयपुर जिले में 2014 में चार मरीज थे, जबकि संभागभर में इनकी संख्या 20 से अधिक थी। राजस्थान में यह आंकड़ा कही ज्यादा है। इस रोग को लेकर राजस्थान में अलर्ट होना आवश्यक है, क्योंकि राजस्थान में मार्च से सितंबर तक का मौसम मुंबई की तरह होता है और यहां पर इसी वातावरण में डेंगू मच्छर पनपता है। राजस्थान मेडिकल हेल्थ विभाग के डॉक्टरों की माने तो उनके अनुसार इस समय उदयपुर या राजस्थान में डेंगू का मच्छर नहीं पनपता, लेकिन ऐहतियात रखने की जरूरत है।
ऐसे पनपता है डेंगू : डिप्टी सीएमएचओ राघवेंद्र रॉय के अनुसार राजस्थान में डेंगू रोग मार्च के बाद बढ़ता है, जो सितंबर तक रहता है। डॉक्टरों के अनुसार डेंगू मच्छर हमेशा स्वच्छ पानी में पैदा होता है और इसके पनपने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान पीने के पानी के परांडे और कूलर में भरा हुआ पानी सबसे अनुकूल होता है, क्योंकि यहां पर स्वच्छ पानी भरा रहता है। बारिश का पानी भी किसी बर्तन या कहीं स्वच्छ जगह या पात्र में भर जाए, तो डेंगू मच्छर पनपता है। रॉय ने बताया कि उदयपुर में हेल्थ विभाग द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हंै।
गांव-गांव स्तर पर भी डेंगू से बचाव के तरीके और उसके इलाज के लिए कैंप आयोजित किए जाते हैं।
॥मुंबई में अभी मौसम में नमी की वजह से वहां डेंगू मच्छर हो सकते हंै। यहां पर उनके पनपने का समय मार्च से सितंबर तक होता है। हेल्थ विभाग डेंगू को लेकर पूरी तरह सतर्कता बरते हुए हैं। 2014 में पिछले सालों की अपेक्षा चार मरीज थे। डेंगू से अंधेपन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसको लेकर भी सतर्कता बरती जाएगी।
-डॉ. राघवेंद्र रॉय, डिप्टी सीएमएचओ उदयपुर

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