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उदयपुर। देश में प्रत्येक दस मिनट में एक बच्चा कैंसर की चपेट में आ रहा है इसका प्रमुख कारण साक्षरता की कमी , कुपोषण , खराब स्वास्थ्य एवं गरीबी बताया जा रहा है।

विश्व पेडियाट्रिक कैंसर दिवस पर दक्षिणी राजस्थान का एक मात्र जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल के बोन मेरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डा. मनोज यू. महाजन ने बताया कि बाल चिकित्सा कैंसर के आंकड़े और चौकाने वाले है तथा दुनिया भर में 175000 वार्षिक नये मामले सामने आते हैं जिसमें 90000 बच्चों की मृत्यु हो जाती है।

उन्होंने बताया कि अमेरिका में इस रोग से बच्चों की मौत के मामलें अधिक सामने आये है जो मौतो में दूसरा प्रमुख कारण है। इसी प्रकार भारत में प्रतिवर्ष 50000 हजार नये मामले देखने में आये है।

डा.महाजन के अनुसार बच्चों में मुख्य रुप से होने वाले कैंसर रक्त कैंसर: ल्यूकेमिया और लिम्फोमा: 40 प्रतिशत, मस्तिष्क कैंसर 17 प्रतिशत, न्यूरोब्लास्टोमा पांच प्रतिशत, जननांगों एवं किडनी का कैंसर चार प्रतिशत, बच्चों के अन्य कैंसर 30 प्रतिशत होने की संभावना रहती हैं।

इसके अलावा पांच से दस प्रतिशत कैंसर आनुवांशिक एवं परिवार में किसी अन्य बीमारी को कैंसर होना पाया गया है। शेष 90 प्रतिशत मामले माता.पिता के धुम्रपान, नशीली वस्तुओं के सेवन, विकिरण, कीटनाशक , औद्योगिक प्रदूषण जैसे अन्य अज्ञात कारण शामिल हो सकते हैं।

उन्होंने बताया कि बच्चों में होने वाले कैंसर के लक्षण के तहत लगातार हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होना, लगातार शारीरिक कमजोर होना, डब्ल्यूबीसी.आरबीसी. गर्दन , आंख में सूजन या गांठ होना तथा पेट पीठ में सूजन आना आदि हैं।

बच्चों में होने वाले कैंसर का जल्दी पता लगाना एक चुनौती बना हुआ है। हालांकि शरीर में होने वाले असामान्य बदलाव तथा लक्षणों को पहचान कर इसका पता लगाया जा सकता है। शरीर में बायोप्सी जांच से पता लगाकर निदान संभव है।

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