पोस्ट न्यूज़ . डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान हुई 30 लोगों की मौतों पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए उनके परिजनों को मुआवजा देने की बात कही है . और यह मुआवजा इन हडताली डॉक्टरों से लेकर दिया जाय और इन मौतों की जवाबदेही देहि इनकी तय की जाय . कोर्ट ने डॉक्टरों की जवाबदेही तय करने के लिए राज्य सरकार से शपथ पत्र मांगा है .

न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने इस बारे में महाधिवक्ता के जरिए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने सुनवाई 27 नवम्बर तक टालते हुए हड़ताली डॉक्टरों की जवाबदेही तय करने के लिए राज्य सरकार से शपथ पत्र मांगा है। आपको बता दें कोर्ट ने हड़ताल के दौरान 30 लोगों की मौत को गंभीरता से लिया है। अतिरिक्त स्वास्थ्य निदेशक डॉ. कुसुम सांघी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था। सरकार ने लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं को  में रखते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया था। डॉ. सांघी की ओर से अधिवक्ता प्रवीण शर्मा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का प्रार्थना पत्र निरस्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य मंत्री के बयान का हवाला देकर डॉक्टर हड़ताल के दौरान 30 लोगों की मौत के बयान को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इस बात को भी गंभीरता से लिया कि राज्य सरकार ने वेतन सहित अन्य मांगों को मान लिया, इसके बाद हड़ताल समाप्त हुई।

गौरतलब है कि सात दिनों में हुई 30 मौतों के बाद डॉक्टरों की हड़ताल रविवार रात 11 बजे समाप्त हुई थी। 8.30 घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी और चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने इसकी आधिकारिक घोषणा की थी। हड़ताल समाप्ति की घोषणा से पहले कई बार नाटककीय घटनाक्रम चला। रात 9 बजे सेवारत डॉक्टरों की मांगों पर सहमति बनने के बाद रेजीडेंट्स को बुलाया गया। रेजीडेंट की मांगों पर रात 1.30 बजे सहमति बनी थी

 

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