wheat_bनई दिल्‍ली. यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट फूड सिक्‍योरिटी बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। मंगलवार को पीएम की अगुवाई वाली कैबिनेट ने संशोधनों के साथ इस बिल को हरी झंडी दे दी। इस बिल के तहत देश की दो तिहाई आबादी को सस्‍ता अनाज देने का प्रावधान है। बीजेपी ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया है। वहीं, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने टिप्‍पणी की है कि कांग्रेस सत्‍ता में लौटने का जुगाड़ जानती है।

 

सरकार इसके लिए अंत्‍योदय अन्‍न योजना ला रही है जिसके तहत 2.43 करोड़ गरीब परिवारों को भोजन मुहैया कराया जा सकेगा। फूड सिक्‍योरिटी बिल के प्रावधानों के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को चावल तीन रुपये प्रति किलो और गेहूं 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से दिए जाने की योजना है। ज्‍वार, बाजरा जैसा मोटा अनाज एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलेगा। इस योजना का देश के 67 फीसदी लोगों को फायदा मिलेगा। देश की करीब 75 फीसदी ग्रामीण और 50 फीसदी शहरी आबादी इस कानून के दायरे में आएगी।

 

इस बिल के तहत प्रति व्‍यक्ति सात किलो और प्रति परिवार सात किलो अनाज प्रति माह दिए जाने की योजना है। यह योजना लागू होने से शुरुआत में सरकारी खजाने पर 23 हजार करोड़ का अतिरिक्‍त बोझ आएगा। योजना लागू होने पर सरकारी खजाने पर कुल 1.3 लाख करोड़ का सब्सिडी बोझ आएगा। केंद्रीय खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने कहा है कि इसी हफ्ते इस बिल को संसद में मंजूरी दिलाने की कोशिश की जाएगी।

 

गौरतलब है कि इससे पहले भी इस बिल को संसद में पेश करने की कोशिश हुई थी लेकिन कुछ राज्‍यों के विरोध के चलते यह फैसला टालना पड़ा था। दिसंबर 2011 में लोकसभा में पेश इस बिल में सरकार ने ‘प्रायरिटी हाउसहोल्‍ड्स’ को हर व्‍यक्ति के लिए सात किलो गेहूं (दो रुपये प्रति किलो) और चावल (तीन रुपये प्रति किलो) दिए जाने का प्रावधान था। ‘जनरल हाउसहोल्‍ड्स’ के लिए तीन किलो अनाज सरकार द्वारा तय कीमत के आधे पर दिया जाना था। संसद की स्‍थायी समिति की सिफारिशों के मद्देनजर इस बिल में संशोधन किए गए हैं।

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