free voice callingउदयपुर। बहुत सस्ती लंबी दूरी के फोन कॉल्स करने के लिये वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल जैसे स्काइप, वीबर, टैंगो आदि के बढते उपयोग के कारण टेलीकॉम कंपनियों को राजस्व की बहुत हानि हो रही थी और वो टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी (ट्राई) द्वारा इन सेवाओं को ब्लॉक करवाने में असफल रही हैं। लेकिन अब लगता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे के नाम पर इन्हें रोकने के लिये सुरक्षा एजेंसियों के साथ लॉबी करने के बाद ये कंपनियां सफल हो रही हैं।
अपने यूजर्स के बीच मुफ्त कॉल तथा कौड़ियों के दाम पर लंबी दूरी की कॉल सुविधा उपलब्ध कराने वाली शीर्षस्थ कंपनी ’’स्काइप’’ ने १० नवंबर से स्काइप द्वारा भारत में मोबाइल तथा लैंडलाइन कॉल करने पर रोक लगाने की घोषणा कर दी है।
गृह मंत्रालय ने इस आधार पर टेलीकॉम मंत्रालय को वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल कॉल्स को ब्लॉक करने के लिये लिखा था कि इनमें कॉल करने वाले के मोबाइल नंबर सहित अन्य विवरण उजागर नहीं होते हैं जिससे सुरक्षा को खतरा है।
सूत्रों ने कहा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (आई बी) ने दूरसंचार विभाग को गत माह ’’वी फोन’’ एप्लिकेशन ब्लॉक करने को लिखा था जो एन्ड्रॉइड प्ले स्टोर्स तथा एपल के स्टोर्स पर मुफ्त उपलब्ध है। ऐसा इस आधार पर लिखा गया कि यह यूजर को नकली पहचान की सुविधा देता है जिससे वास्तविक कॉलर की पहचान या उसकी लोकेशन जान पाना कठिन हो जाती है। जहां इस एप्लिकेशन का नि:शुल्क संस्करण कॉलर की आई डी प्रदॢशत करता है, जो *७७७ से शुरू होती है, वहीं इसका सशुल्क संस्करण किसी भी कॉलर आई डी को डिस्प्ले करने की सुविधा देता है।
आई बी ने दूरसंचार विभाग को लिखा कि स्काइप की भांति ’’वी फोन’’ के सर्वर भारत से बाहर स्थित हैं और इसके माध्यम से की जाने वाली कोई भी कॉल विदेश स्थित सर्वर के रास्ते होती है, जिससे कॉल कर रहे वास्तविक नंबर या यूजर को पहचानना तथा उसकी स्थिति की जानकारी कर पाना कठिन हो जाता है। ट्राई ने अगस्त में स्काइप, वाइबर, व्हॉट्स एप तथा आधा दर्जन अन्य एप्स द्वारा उपलब्ध कराई जा रही मुफ्त एस एम एस तथा कॉल सेवाओं को रोकने या नियंत्रित करने की टेलीफोन ऑपरेटरों की मांग अस्वीकार कर दी थी और उन्हें शुल्क लेने तथा आय को इन कंपनियों या सरकार के साथ बांटने को बाध्य करने से इंकार कर दिया था। ट्राई ने तर्क दिया था कि लोगों को विज्ञान के उस लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता जो उन्हें कम कीमत या मुफ्त संचार सेवा उपलब्ध कराता हो।
मोबाइल फोन सॢवस ऑपरेटर ट्राई के पास यह शिकायत लेकर गए थे कि उन्हें भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि उन्होंने अपने नेटवर्कों में करोडों का निवेश किया है जबकि इंटरनेट पर मुफ्त मैसेजिंग या वॉइस कॉल्स उपलब्ध कराने वालों ने उनके व्यापार में कटौती की है क्योंकि अधिकतर उपभोक्ता ऑपरेटरों की सामान्य एस एम एस या वॉइस कॉल सुविधा के बजाय मुफ्त सेवाएं पसंद करते हैं। ऑपरेटरों ने ट्राई से प्रार्थना की थी कि इन मुफ्त सेवा देने वालों को वे सभी शुल्क सरकार को देने चाहिये जो वे सरकार को देते हैं क्योंकि ऐसा करना ही एप निर्माताओं को उन सेवाओं का शुल्क देने को बाध्य करेगा, जो अभी मुफ्त हैं, तथा उन्हें टेलीकॉम कंपनियों के बराबर ले आएगा।

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