RLABuilding85694759-300x171आकोला। चित्तौडग़ढ़ जिले की कपासन विधानसभा सीट पर दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों के सर्वाधिक दावेदारों में टिकिट पाने के लिए घमासान मचा हुआ है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों से लगभग 60 से अधिक दावेदार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। ये संख्या जिले की अन्य किसी सीट से सर्वाधिक है। उल्लेखनीय है कि मेवाड़ संभाग की 28 सीटों में से एक मात्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट कपासन ही हैं, जिस पर बड़े-बड़े दिग्गजों की निगाहें टिकी है। इस सीट पर दोनों ही दलों में बाहरी दावेदारों की भरमार है, जिनका स्थानीय संगठन एवं जनता में भारी विरोध है। वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा ने बाहरी प्रत्याक्षी अंजना पंवार पर दांव खेला था, जिसका नतीजा यह हुआ कि इस राष्ट्रीय पार्टी की जमानत जब्त हो गई व तीसरे स्थान पर रही। शायद दुबारा एेसी हिमाकत कोई भी दल नहीं करेगा। अंजना पंवार को टिकिट दिलाने में जिले के ही बड़े नेेता की उल्लेखनीय भूमिका रही, जो चाहते ही नहीं की कपासन से कोई स्थानीय कार्यकत्र्ता भाजपा का विधायक बने। इस लिहाज से अंजना पंवार को टिकिट मिलने के दिन ही पार्टी की एक तरफा हार तय हो गई थी। ठीक छह माह बाद लोकसभा चुनाव में से भाजपा प्रत्याशी श्रीचंद कृपालानी को राशमी क्षेत्र से श्रीचंद कृपलानी को आठ हजार से अधिक मतां की हार नसीब हुई। यही स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा हर तरफ छाया हुआ है, जिसके कारण बड़े नेताआें की नींद उड़ी हुई है, जो कि हर चुनाव में अपना क्षेत्र बदलते रहते हैं, जिसका ज्वलंत उदाहरण पूर्व गृहमंत्री कैलाश मेघवाल है जिनको अब फिर से कपासन की जनता याद आ रही है, जबकि इससे पहले कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए मेघवाल को कपासन की कभी याद नही आई। कहीं ऐसा ना हो कि 2013 के विधानसभा चुनाव में अगर पार्टी ने एेसे बाहरी उम्मीदवारों को थोप दिया, तो जनता द्वारा 2008 के चुनाव का इतिहास दोहराया जा सकता है। 2008 में कांग्रेस के प्रबल दावेदार कालूराम खटीक व शांतिलाल धोबी में कड़ा मुकाबला था। अन्तोगत्वा इन दोनों की जबरदस्त घमासान का फायदा शंकरलाल बैरवा को मिला, इस बार कालूराम खटीक अब इस दुनिया में नही रहे। इसके अलावा आरडी जावा, शांतीलाल धोबी, आनंदीराम खटीक, रोशन मेवाड़ी, लोकेश आर्य, बंशीलाल राव तथा विधायक शंकरलाल बैरवा 2013 के चुनाव में प्रबल दावेदार सामने आए हैं। अब एक-दो माह से कार्यकत्र्ताआें की याद सताने लगी है। गहलोत सरकार द्वारा पिछले चार माह से फ्लेगशिप योजनाएं चालू कर पानी की तरह पैसा लुटाया है। युवाआें को रोजगार की आवश्यकता है। कांग्रेस शासन द्वारा मंहगाई, घोटाले, भ्रष्टाचार, अराजकता का तोहफा दिया जा रहा है। नया उम्मीदवार ही अब इस क्षेत्र में कुछ करके दिखा सकता है। कपासन क्षेत्र के सभी स्थानीय भाजपा दावेदारों ने मंच बनाकर दागी बागी भगाआे, भाजपा बचाआे का अभियान चला रखा है, जिसकी गुंज जयपुर तक सुनाई दे रही है। कथित दावेदारों के व्यक्तिगत, अनैतिक व भ्रष्ट कारनामों से जुड़े होने के कारण पार्टी की छवि धूमिल होती है। अन्तोगत्वा खामियाजा पार्टी को ही उठाना पड़ता है। भाजपा एवं कांग्रेस में चुनाव की तैयारियां युद्घ स्तर पर चल रही है। कांग्रेस द्वारा दावेदारों से पर्यवेक्षक भेजकर फीडबैक ले लिया गया। मात्र टिकिट वितरण के लिये छंटनी का अंतिम दौर चल रहा है। दावेदारों द्वारा जयपुर, दिल्ली के बडे़ नेताआें से सेटिंग बिठाने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दूसरी और ज्योतिषियों एवं देवरों पर भी सीजन चल रही है।

भाजपा में भी एक सितंबर को रणकपुर में हुई बैठक में जिले के पदाधिकारियों से प्रत्येक विधानसभा से 3-3 उम्मीदवारों का पैनल लिया गया है, जिस पर सर्वे कराया जाएगा। पिछली हार से सबक लेते हुए भाजपा आलाकमान फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। भाजपा में योग्य उम्मीदवार के चयन के लिए तीन बार सर्वे कराई जा चुकी है तथा अंतिम सर्वे सितंबर मध्य में कराई जाएगी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुन्धराराजे सिंधिया द्वारा सुराज संकल्प यात्रा निकालने के बाद भाजपाइयों में उत्साह का संचार हो गया है। इस यात्रा में भी चित्तौडग़ढ़ जिले में कई स्थानों पर हुए कार्यक्रमों में भाजपा की गुटबाजी उभर कर सामने आई है। वर्ष 2008 के चुनाव में चित्तौडग़ढ़ जिले से पांचां सीटों पर भाजपा का सफाया हो गया था। अभी भी भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। भाजपा के प्रबल दावेदार पूर्व गृहमंत्री कैलाश मेघवाल कई स्थानों पर भाग्य आजमा रहे हैं। इनके अलावा भागीरथ चंदेल, अर्जुनलाल जीनगर, जिला प्रमुख सुशीला जीनगर, शांतिलाल खटीक , हितैष यादव, बाबूलाल खटीक के नाम उभर कर सामने आए हैं। इन चुनावों में भाजपा को अगर विजय हासिल करनी है, तो निश्चित रूप से नये चेहरे पर ही दांव खेलना होगा। कपासन विधानसभा में 223000 मतदाता है, यह सीट जाट बाहुल्य मानी जाती है। जाट के 40000 मतदाता है, अनुसूचित जाति के 65000 मतदाता है, जिनमें सर्वाधिक खटीक 20000 एवं बैरवा 10000 के लगभग मतदाता है। अब देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है।

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