स्पीक मेके कार्यक्रम में झूमें विद्यार्थी

नाथद्वारा, श्रीनाथजी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नॉलाजी एण्ड मेनेजमेंट में लंगा तथा मांगनियार बीकानेर जैसलमेर घरानें के सूफी गायक उस्ताद जीमल खां तथा साथी दादे खांए हयाल खां एभॅवरू खां तथा बरकत खां नें मदमस्त आलम में प्रस्तुतियां दी ।

कलाकारों नें अलगोजे मोरचंग पर अपनी प्रस्तुतियां देकर विद्यार्थियों का खूब मनोरंजन किया। जीमल खॉं नें गुल्लेशाह कलाम का गाना कपडा नहीं दिया तो क्या हुआ अंदर के रंग में खूब रंग्या पर पडगी में हजार किताबां अपनें आप में पडया नहीं…। फूलेसा के इल्म पर कहा अल्लाह वाहेगुरू भगवान सब अपने अन्दर है । जनम थारों बाता में बीत गयों… कबीर हुआ एक पनिहारी अनेक बर्तन न्यारे पर पानी सब में एक जात पात अनेंक है खून सबका एक है… गुरू गोविन्द दोउ खडे काको लागे पाइ बलिहारी गुरू आपमें गोविंद दियों मिलाय… केसरिया बालम पधारो म्हारे देश…. रांग मांड रंग रंगीलो रस भरयों वो हमारो प्यारो राजस्थान मन लाग्यो मेरो यार फकीरी मे…. पाला कहे काठ की तू क्यू फेरे मोहे मनमा कनका हजार नमा$ज में पढी मौला यार मिलनें का कोई दस्तुर नहीं । राग भैरवी में निंबूडा-निंबूडा छोटा छोटा काचा काचा लाई दों… नैना तूम बूरी हो तूलसी बुरा न कोय….. पर प्रस्तुतियॉं देकर दर्शको को झूमनें पर मजबूर कर दिया।

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