उदयपुर, 29 दिसम्बर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के नवें दिन गुरूवार को मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर ‘‘धरोहर’’ में पद्मभूषण से सम्मानित तथा देश की जानी मानी पण्डवानी गायिका श्रीमती तीजन बाई ने पण्डवानी में महाभारत के प्रसंग ‘‘दुशासन वध’’ में कथा श्रवणकों के रोंगटे से खड़े कर दिये वहं इस अवसर पर सिद्दि धमाल व भांगड़ा ने दर्शकों को थिरकने के लिये प्रोत्साहित सा कर दिया।

उत्सव में रंगमंचीय कार्यक्रमों की शुरूआत राजस्थान के बाड़मेर की गैर से हुई। ढोल की थाप पर गैर नर्तकों ने होली के दिन याद ताजा करवाये। महाराष्ट्र की शब्दभेद कला में नारियल की तलाश जहां एक रोचक प्रस्तुत बन सकी वहीं बहुरूपिये सिकंदर अब्बास व उनके साथियों ने लोगों का मानेरंजन किया। इसके उपरान्त लावणी की बालाओं ने लास्य व लावण्य बिखेरा। सर्दी के माहौल के चलते नृत्यांगनाओं ने शीत ऋतु का अभिनय रोचक ढंग से किया।

कार्यक्रम में पद्म भूषण श्रीमती तीजन बाई प्रमुख आकर्षण रही। नृत्य, अभिनय, नाट्य और गायन की सिद्ध इस कलाकार ने अपनी ओजपूर्ण स्वरों में महाभारत दुशासन वध प्रसंग को रोचक ढंग से दर्शाया। तंबूरे के साथ तथा उसके कलात्मक प्रयोगों के अनुठे युग्म से इस प्रसंग में उन्होंने अपने आंगिक अभिनय से महाभारत के पात्र भीम, दुशासन, द्रौपदी इत्यादि को जीवंत बनाया। द्रौपदी द्वारा केश में दुशासन का रक्त लगाने का दृश्य अत्यंत प्रभावी बन सका।

कार्यक्रम में विश्व प्रसिद्ध लोक कलाकार व निबूड़ा फेम गाजी खां मांगणियार व उनके साथियों ने गीत ‘‘झिर मिर बरसे मेह….’’ सुनाये वहीं इस अवसर पर बिहू नृत्य की प्रस्तुति ने असम के बिहू पर्व में युवा मन की तरंगों को उमंगपूर्ण ढंग से मंच पर अपनी दैहिक भंगिमाओं के साथ दर्शाया। कार्यक्रम में सिद्दि धमाल पर दर्शक दीर्घा में बैठे दर्शक थिरक उठे वहीं भांगड़ा नर्तकों ने भी दर्शकों को नाचने व थिरकने पर मजबूर किया। भपंग वादक जुम्मेखां की शेरा शायरी पर दर्शकों ने ठहाके लगाये।

 

उत्सव के आखिरी दिन ‘‘झंकार’’ का आयोजन आज

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