उदयपुर। राज्य सरकार द्वारा गरीबों के लिए शुरू की गई निशुल्क दवा योजना अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश के साथ ही दम तोडऩे लगी है। योजना शुरू होने के साथ ही यह वादा भी सरकार द्वारा किया गया था कि इस योजना का लाभ २४ घंटे जनता को मिलेगा, लेकिन अस्पतालों में पड़ताल की गई, तो शाम चार बजे बाद ही नि:शुल्क दवाओं की दुकानें बंद पाई गई। रात में अस्पताल में कोई मरीज आता है, तो उसे निशुल्क दवाइयां नहीं मिलती है। ऐसी स्थिति में मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदनी पड़ती है।

एमबी अस्पताल में कुल २३ दवा वितरण केंद्र है। इनमें से १५ दवा वितरण केंद्र एमबी अस्पताल के परिसर में हैं जो कि आउटडोर दवा वितरण सेंटर की श्रेणी में आते हैं। वहीं इनडोर दवा वितरण सेंटर की संख्या आठ है। जिनमें से चार इनडोर निशुल्क दवा वितरण केंद्रों पर २४ घंटे निशुल्क दवाएं दी जाती है, लेकिन यहां पर सिर्फ अस्पताल में भर्ती मराजों को ही निशुल्क दवाएं दी जाती है।

आदेशों की अवहेलना : सरकार ने प्रतिदिन २५०० से अधिक मरीजों की आवक वाले बड़े अस्पतालों में एक या दो निशुल्क दवा वितरण केंद्र २४ घंटे खोलने के आदेश दिए थे। एमबी अस्पताल दक्षिणी राजस्थान का सबसे बड़ा अस्पताल है और रोगियों की आवक भी भारी संख्या में होती है, लेकिन यहां पर २४ घंटे दवा वितरण केंद्र नहीं खुले रहते हैं। अस्पताल प्रशासन कभी फार्मासिस्ट की कमी, तो कभी अन्य बहाने बनाकर २४ घंटे निशुल्क दवा वितरण केंद्र खोलने से कन्नी काटता रहा है।

 

भटकते हैं रोगी

उदयपुर का एमबी चिकित्सालय संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां पर आउटडोर के बंद होने के बाद भी मरीजों के आने का सिलसिला बना रहता है। ये मरीज आपातकाल में रोगी पर्ची कटवाकर यहां पर डाक्टरों को दिखाते हैं। डाक्टर मरीजों को जो दवाइयां लिखते हैं, जो निशुल्क दवा वितरण केंद्रों से लेनी होती है, लेकिन वितरण केंद्रों के चार बजे बंद होने के साथ ही मरीजों को अस्पताल के बाहर से दवाइयां लानी पड़ती है।

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