DSC_5938-300x198उदयपुर। सर्वऋतुविलास स्थित अन्तर्मना सभागार में श्रद्घालुओं को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रसन्न सागर महाराज ने कहा कि हमें अपने जीवन को महापुरूषों की वाणी और उनके जीवन दर्शन को समझाते हुये अनुसरण करना चाहिये। हमारे यहां कई ऋषि, मुनि, संत, महापुरूष हुए हैं, जिन्होंने अपने कार्यों से लोगों के जीवन को नई दिशा प्रदान की। पहले वे जिन्होंने अपने विचार दिए हैं। दूसरे वे जिन्होंने विचार के साथ विवेक भी दिया है और तीसरे वे जिन्होंने विचार, विवेक के साथ-साथ आचरण भी दिया हैं। मुनि श्री ने कहा कि जिसने विचार दिया हैं, वह योगी भी है और भोगी भी, जिसने विचार के साथ-साथ विवेक भी दिया हैं, वह कर्मयोगी हैं और विचार, विवेक, आचरण भी दिया हैं, वह महायोगी हैं।

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