उदयपुर, उदयपुर की ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण एवं सौन्दर्यीकरण को लेकर नगर परिषद के तत्वावधान में सोमवार से पांच दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। कार्यशाला का प्रथम सत्र प्रात: १० बजे कृषि महाविद्यालय के प्रज्ञा सभागार में शुरू हुआ। जिसमें स्ट्रोसबर्ग (प्र*ांस) व आईएचसीएन के प्रतिनिधियों के साथ ही इंटेक, द्रोण कन्सलटेन्ट, विभिन्न विभाग के अधिकारियों, नगर नियोजक, नगर विकास प्रन्यास के सचिव, नगर परिषद सभापति, नगर परिषद आयुत्त*, पार्षदों तथा नगर की विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य उदयपुर में विरासत संरक्षण के संबंध में योजना निर्धारण के लिये विचार कर उन्हें मास्टर प्लान में समाहित करने के लिये राज्य के मुख्य नगर नियोजक व राज्य सरकार को प्रेषित करना है। स्ट्रोस बर्ग की नगर नियोजक गेरालडाइन मेस्टली व प्रें*कोईज तथा परियोजना अधिकारी एलिस डेलजेन्ट ने स्ट्रोसबर्ग शहर में विरासत संरक्षण के लिये किये जा रहे उपायों की विस्तृत जानकारी दी। आईएचसीएन (इण्डियन हेरिटेज सिटी नेटवर्क) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोविंद कुट्टी ने शहर में विरासत संरक्षण के लिये किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी।

सभापति श्रीमी रजनी डांगी ने कार्यशाला का उदघाटन करते हुए कहा कि उदयपुर नगर अपनी खुबसूरती और ऐतिहासिकता के लिये विख्यात है। यहां की विरासत अदभुत और बेजो$ड है जिसका संरक्षण समय की मांग है। इस दिशों में यह कार्यशाला हमारे मार्गदर्शन के लिये सार्थक होगी। विरासत संरक्षण के लिये नगर परिषद पूरी तरह सजग है और इस दिशा में कार्यशाला से ठोस अनुशंषाओं की अपेक्षा है। उन्होंने कहा कि परिषद ने झाीलों के संरक्षण के लिये भी कार्य योजना हाथ में ली है।

आयुत्त* सत्यनारायण आचार्य ने अपने स्वागत उदबोधन में कहा कि उदयपुर की भूमि धरोहरों से समृद्घ भूमि है। जिस तरह देशवासी हिमायल और ताजमहल पर गर्व करते है उसी तरह उदयपुर-मेवा$ड के लोग अपने इतिहास, ऐतिहासिक इमारतों, झीलों, बाव$िडयों, तोरणद्वारों, पुरानी पोलो आदि पर गर्व करते है। इन सबके संरक्षण के लिये काम तो हो ही रहा है लेकिन और क्या बेहतर हो सकता है इसकी कार्यशाला के प्रतिभागियों के अनुभवों से नई दिशा मिल सकेगी।

कार्यशाला में संदर्भ व्यत्ति* आकाश हिंगोरानी, महाराणा मेवा$ड प*ाउण्डेशन के मयंक गुप्ता, नगर विकास सचिव डॉ. आर.पी. शर्मा, इंटक के एस.के. वर्मा, सेवानिवृत मुख्य नगर नियोजक एस.एस. संचेती आदि ने भी अपने विचार व्यत्त* किये।

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