images (1)उदयपुर। यदि आप किसी बीमारी का शिकार हो और डॉक्टर ने इंजेक्शन की सलाह दी है, तो सावधान हो जाइये, क्योंकि हाइडोज इंजेक्शन एलर्जी का मुख्य कारण बन सकता है। इन दिनों उदयपुर शहर और आसपास के क्षेत्रों में घर पर प्रेक्टिस करने वाले नौसिखिये डॉक्टर और झोलाछाप डॉक्टर की वजह से हाइडोज इंजेक्शन के शिकार एलर्जी के मरीजों की संख्या एमबी हॉस्पीटल और अन्य प्राइवेट अस्पतालों में बढ़ रही है।

वरिष्ठ चिकित्सकों के अनुसार हाइडोज और संवेदनशील इंजेक्शन लगाने के पहले मरीज को कुछ मात्र में ट्रायल के तौर पर लगाया जाता है। सकारात्मक परिणाम आने पर ही वो इंजेक्शन पूरी तरह मरीज को लगाया जाता है। इसके विपरीत झोलाछाप डॉक्टर ज्यादा कमाने की लालच में और परिणाम जल्दी आने के चक्कर में बिना ट्रायल के हाई डोज इंजेक्शन लगा रहे हैं। इससे मरीज का मर्ज तो ख़त्म नहीं हो रहा, बल्कि एलर्जी की बिमारी और लग रही है। एमबी अस्पाल में रोज करीब चार से छह मरीज ऐसे इंजेक्शन रिएक्शन एलर्जी के आ रहे हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार हाइडोज इंजेक्शन के पहले दवा परिक्षण को ड्रग सेंसेटिव टेस्ट कहा जाता है। इसी जांच की सिफारिश एनेस्थेसिया (निश्चेतना) विभाग के विशेषज्ञों की तरफ से की जाती है। इस विभाग के तहत करीब 25 इंजेक्शन और दवाइयां संवेदनशीलता की श्रेणी में आती है और आईबी (एंटीबायोटिक) भी संवेदनशीलता की श्रेणी में आती है।

केस – 1

चांदपोल निवासी सुरभि शर्मा की पिछले दिनों रात में तबीयत खराब होने पर अंबामाता में किसी नौसिखिये झोलाछाप डॉक्टर को दिखाया, जिसने बिना परीक्षण के हाइडोज इंजेक्शन लगा दिया, जिसके दो घंटे बाद ही उसके पूरे शरीर पर लाल लाल दाने हो गए और आंखें सूज गई। उसको तत्काल एमबी अस्पताल की इमरजेंसी में ले जाना पड़ा।

केस – 2

सात वर्षीय बिलाल खान के जांघ में फोड़ा हो गया। गांधीनगर में एक कंपाउंडर ने उस फोड़े को फोड़ कर घाव जल्दी भरने के लिए हाइडोज एंटीबाइटिक दवा दे दी, जिससे बिलाल को रिएक्शन हुआ और मुह में लाल छाले और जबान तुतलाने लग गई, जिसको परिजन अगले दिन एमबी हॉस्पीटल ले गए।

ये हैं संवेदनशील इंजेक्शन और दवा

एमबी हॉस्पीटल के एलर्जी विशेषज्ञों के अनुसार पेनिसलिन इंजेक्शन कोई भी एनेस्थेटिक दवा या इंजेक्शन सहित एंटीबायोटिक इंजेक्शन संवेदनशीलता की श्रेणी में आते हैं। ट्रीमोडोल समूह, एंटीबाइटिक डायक्लोफेनिक सोडियम, सिफेलोरोस्पिन इंजेक्शन समूह, डाइजिपोम लारेजिपाम आदि इंजेक्शन और दवाओं को देने से पहले इनका परिक्षण किया जाना आवश्यक होता है, लेकिन झोला छाप डॉक्टर जल्दी परिणाम देने के चक्कर में मरीजों का नुकसान कर रहे हैं।

फिर भी परवाह नहीं

ऐसी दवा और इंजेक्शन पर साफतौर पर चेतावनी लिखी होती है। इस्तेमाल करने के पहले परीक्षण का उल्लेख भी लिखा होता है, लेकिन झोलाछाप डॉक्टर व गली-मोहल्लों में घर पर प्रेक्टिस करने वाले नौसिखिये कंपाउंडर बिना इस की परवाह किए पूरा डोज मरीज को लगा देते हंै।

॥कुछ संवेदनशील इंजेक्शन और दवाइयां होती है। इनका परिक्षण आवश्यक है और इसे हाइडोज इंजेक्शन झोलाछाप डॉक्टर ज्यादा लगाते हैं, जो आसपास के क्षेत्रों में होते हंै। शहर और आसपास रहने वाले लोगों को झोलाछाप डॉक्टर से बचना चाहिए जबकि एमबी अस्पताल में बेहतर सुविधा और काबिल डॉक्टर उपलब्ध है और आपातकालीन 24 घंटे खुली हुई है।

-डॉ. ललित गुप्ता, वरिष्ठ एलर्जी चिकित्सक

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