modi rajnath
काशी से मोदी, कानपुर से जोशी
नई दिल्ली। काशी और अवध के रहस्य से शनिवार को भाजपा परदा उठा देगी। सभी विवादों और कयासों को विराम देते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को वाराणसी से अपना उम्मीदवार घोषित कर देगी। उनके साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के लखनऊ या चित्तौडग़ढ़ से चुनाव लडऩे की संभावना है। पार्टी के दो शीर्षस्थ नेताओं के नामों के साथ-साथ शनिवार को उत्तर प्रदेश के पहले दो चरणों में होने वाले चुनाव की सीटों के नाम भी भाजपा घोषित कर देगी।
उत्तर प्रदेश में वाराणसी, लखनऊ और कानपुर जैसी सीटों पर बमुश्किल सहमति बनाने के बीच बिहार का घमासान अभी भी पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती बना हुआ है। शुक्रवार को बिहार की नाराजगी पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के आवास तक पहुंच गई। बिहार के बड़े नेताओं गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे ने टिकट वितरण में खुलेआम नेतृत्व के फैसले पर सवाल उठा दिया है। जाहिर है कि चुनावी मैदान में असली कसरत से पहले ही पार्टी को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
लोकसभा चुनाव में जीत का दावा ठोक रही भाजपा को अंदरूनी खींचतान और कलह से उबारने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ खुद आगे आ गया है। सूत्रों के मुताबिक, लगातार वाराणसी और लखनऊ सीटों पर बढ़ते विवाद का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने दखल देकर पटाक्षेप किया। वाराणसी से भाजपा के वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी हटने से नाराज बताए जा रहे थे। इसी तरह लखनऊ में राजनाथ सिंह का नाम चलने से वहां के मौजूदा सांसद लालजी टंडन विचलित थे। दोनों ही बुजुर्ग नेताओं ने अपनी असहजता या नाराजगी का इजहार भी कर दिया था। मोदी भी इस बात के कतई पक्षधर नहीं थे कि जोशी जैसे वरिष्ठ नेता की नाराजगी मोल लेकर उनकी सीट के बारे में फैसला किया जाए। संघ नेतृत्व से इस विवाद के बाबत अमित शाह ने बात की। संघ के सरकार्यवाह सुरेश जोशी उर्फ भैय्याजी ने इसके बाद जोशी और दूसरे बड़े नेताओं से बात की। डा. जोशी ने साफ कह दिया कि वह किसी सीट के लिए परेशान नहीं हैं, लेकिन हर बात तरीके से होनी चाहिए। संघ और भाजपा के प्रबंधकों ने इसे समझा और मोदी को वाराणसी से लड़ाने का मार्ग प्रशस्त हो गया। राजनाथ की इच्छा को देखते हुए उन्हें भी लखनऊ से उम्मीदवार घोषित करने पर सहमति बन गई। संभवत: डा. जोशी अब कानपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के लिए भाजपा अभी तक एक भी प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। दरअसल कुछ रणनीतिक सीटों को लेकर डर इतना हावी है कि औपचारिक चर्चा से पहले ही सब कुछ दुरुस्त करने की कोशिश हो रही थी। वैसे भी बिहार की घटना से आशंका थोड़ी और बढ़ गई थी। गुरुवार को पार्टी ने बिहार की 25 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए। उसके साथ ही विवाद भी तूल पकड़ गया। मुखर विधायक गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे ने खुलेआम अपनी नाराजगी जता दी। गिरिराज तो बिना जानकारी दिए ही दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के घर पहुंच गए।
भाजपा अध्यक्ष के घर के बाहर थोड़ा ड्रामा भी हुआ और आखिरकार उनसे मुलाकात भी हुई। भागलपुर से अपना दावा ठोकते रहे स्थानीय विधायक चौबे कुछ ज्यादा हमलावर थे। उन्होंने सीधे तौर पर प्रदेश के नेताओं पर उंगली उठा दी। बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा की उम्मीदवारी की घोषणा न किया जाना भी विवाद भड़का सकता है। पार्टी उन्हें दिल्ली से उतारना चाहती है। अगर वह नहीं माने तो पटना साहिब से ही प्रत्याशी होंगे। सिन्हा के समर्थकों ने चेतावनी दे दी है कि अगर पटना साहिब से उन्हें नहीं उतारा गया तो पार्टी के लिए मुश्किल हो जाएगी। शनिवार को उत्तर प्रदेश के साथ-साथ हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए प्रत्याशी तय होंगे।

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