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उदयपुर । मामूली फीस लेकर महाराणा भूपाल चिकत्सालय के जिम्मेदारों ने गुरुवार की रात मरीजों का इलाज छोड़ आठ घंटे तक संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में फिल्म की शूटिंग तमाशा चलाया। जो शूटिंग किसी निजी अस्पताल क्लीनिक या किसी मामूली से सेट पर हो सकती थी उसके लिए महाराणा भूपाल चिकित्सालय का सबसे क्रिटिकल वार्ड न्यूरो सर्जरी और ट्रॉमा सेंटर को चुना। अतिरिक्त जिला कलेक्टर ओ पी बुनकर ने भी कहा की अस्पताल में शूटिंग के लिए स्वीकृति नहीं देनी चाहिए।
गुरुवार शाम को पांच बजे से रात एक बजे तक महाराणा भूपाल चिकित्सालय के न्यूरो सर्जरी और ट्रॉमा सेंटर में फिल्म “जीना इसीका नाम है” फिल्म का तमाशा चलता रहा। इस दौरान फिल्म शूटिंग की यूनिट के १०० से अधिक लोग अस्पताल की इस क्रिटिकल यूनिट के मालिक बने रहे। किस मरीज और उनके परिजनों को अंदर आना है किसको नहीं आना है इसका फैसला डॉक्टर और गार्ड के बजाय शूटिंग यूनिट वाले करते रहे। फिल्म के हीरो आशुतोष राणा और हीरोइन मंजरी फडणवीस के आने के बाद तो मरीजों के परिजनों को वार्ड से पूरी तरह बाहर निकाल दिया गया। जिम्मेदार महाराणा भूपाल चिकित्सालय के उप अधीक्षक रमेश जोशी बजाय इलाज करने के फिल्म में अपने छोटे से रोल के लिए सुबह से देर रात तक शूटिंग की व्यवस्था करते नज़र आये।
पांच हज़ार और २० सेकण्ड के रोल में मरीजों की जान दाव पर :
अस्पताल उप अधीक्षक रमेश जोशी का कहना है कि फिल्म जीना इसीका नाम की शूटिंग के लिए फिल्म यूनिट ने अधीक्षक से स्वीकृति ली थी और अस्पताल प्रशासन को पांच हज़ार रुपया जमा करवाये है। रमेश जोशी को एक २० सेकण्ड का रोल भी दिया इस २० सेकण्ड के रोल के लिए रमेश जोशी सुबह से देर रात तक फिल्म यूनिट की जी हुजूरी में लगे रहे। डॉ जोशी सुबह ही आकर न्यूरो सर्जरी और ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज और नर्सिंग स्टाफ को आकर निर्देश दे गए थे कि शाम को फिल्म की शूटिंग होगी। कोई रोकना मत और उनकी व्यवस्था कर देना। खुद जोशी शूटिंग के दौरान शाम छह बजे से १२ बजे तक वही मौजूद रहे।
पत्रकारों से होते है मरीज डिस्टर्ब शूटिंग से नहीं :
महाराणा भूपाल चिकित्सालय में पत्रकार और फोटो पत्रकारों को किसी भी वार्ड में जाने के लिए सरकार ने रोक लगा रखी है और इधर वार्ड में शूटिंग का फ़िल्मी तमाशा चल रहा है इससे कोई मरीज को परेशानी नहीं हो रही।
अस्पताल की क्रिटिकल यूनिट लेकिन परवाह नहीं :
न्यूरो सर्जरी वार्ड और ट्रॉमा सेंटर अस्पताल का सेंसेटिव और क्रिटिकल वार्ड है यहाँ पर कल रात करीब ३० से अधिक मरीज भर्ती थे। यहां पर सर में चोट लगे बेहोश हुए और ऑपरेशन हुए या एक्सिडेंटल मरीज भर्ती किये जाते है। इसके बावजूद न्यूरो सर्जरी के बाहर गेलेरी में अधीक्षक के रूम में व् ट्रॉमा सेंटर वार्ड में शूटिंग का तमाशा घंटों तक चलता रहा।
मरीज, परिजन और स्टाफ भी हुआ परेशान :
शूटिंग के दौरान मरीज के परिजनों को ट्रॉमा सेंटर और वार्ड से ही बाहर निकाल दिया । मरीजों के परिजन घंटों तक बाहर खड़े रहे । इधर नर्सिंग स्टाफ और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। न्यूरो सर्जरी के नर्सिंग इंचार्ज रमेश आर्य का कहना है की हमको तो सुबह उपाधीक्षक ने आकर निर्देश दिए थे।

इनका कहना …

शहर में सार्वजनिक जगहों पर शूटिंग करने की स्वीकृति जिला प्रशासन देता है लेकिन अस्पताल या अन्य किसी विभाग में शूटिंग करने के लिए स्वीकृति वहां के अधीक्षक या विभाग अध्यक्ष से लेनी होती है। अस्पताल के न्यूरो सर्जरी व् ट्रोमा सेंटर में शूटिंग की गयी है तो यह गलत है । अस्पताल प्रशासन को इस तरह की स्वीकृति नहीं देनी चाहिए।

ओ पी बुनकर , अतिरिक्त जिला कलेक्टर

अधीक्षक डॉ तरुण गुप्ता ने स्वीकृति दी थी वह अभी इन्दोर गए हुए है। न्यूरो और ट्रोमा में मरीजों को कोई परेशानी नहीं हुई हमने बाहर रूम में ही शूटिंग करवाई। शूटिंग यूनिट ने पांच हज़ार रुपये अस्पताल प्रशासन को जमा करवाए है।

डॉ रमेश जोशी , उपाधीक्षक महाराणा भूपाल चिकित्सालय

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