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उदयपुर। धार्मिक संस्‍था डेरा सच्‍च सौदा के प्रमुख और खुद को  मैसेंजर ऑफ गॉड  के रूप में बड़े पर्दे पर प्रस्‍तुत करने वाले संत गुरमीत राम रहीम द्वारा इंडिया-टू-डे में  “आदिवासी बने जैंटलमैन”  शीर्षक से प्रकाशित विज्ञापन को लेकर झाड़ोल और कोटड़ा के आदिवासियों मेंं भारी गुस्सा है। संत गुरमीत राम रहीम की फिल्म  “मैंसेजर ऑफ गॉड-2” पर भी बवाल मचा हुआ है। फिल्‍म शुक्रवार को ही रिलीज हुई है। इस फिल्म पर झारखंड में रोक लगा दी गई है। आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने पुलिस महानिरीक्षक को सौंपे ज्ञापन में बताया है कि इंडिया-टू-डे और  “मैसेंजर ऑफ गॉड-२” नामक फिल्म में आदिवासियों को इंसान नहीं माना गया है। इंडिया-टू-डे में प्रकाशित विज्ञापन में संत गुरमीत राम रहीम द्वारा बताया गया है कि  वे लोग नग्न रहते थे, शिक्षा व सभ्यता नाम की चीज तो उनमें दूर-दूर तक नहीं थी। हर वक्त मदिरा के नशे में धुत्त रहना, मांस भी कच्चा खा जाना उनकी तहजीब थी। जब दुनिया की संरचना हुई तो ऐसा ही तो था आदिमानव का व्यवहार। परंतु यहां पर जो हम बात कर रहे हैं, वह सदियों पहले पत्थर युग की नहीं महज, चंद वर्ष पहले सन् २००१ के करीब की है। देश के पिछड़े इलाकों में उदयपुर राजस्थान का कोटड़ा और झाड़ोल भी प्रमुख है। यहां पर वर्ष २००१ एक से पहले हफ्ते में एक-दो कत्ल होना आम बात थी।
इस विज्ञापन में आगे बताया गया है कि ऐसे राक्षस रूपी इंसानों को डेरा सच्चा सौदा के मौजूदा गुरु  संत गुरमीत राम रहीमसिंह जी इंसा ने इंसानियत का ऐसा पाठ पढ़ाया कि वे लोग भी तन-मन-धन से इंसानियत को समर्पित हो गए। और इस इलाके के आदिवासी सभ्य समाज का अंग हो गए।ञ्ज आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने राष्ट्रपति के नाम भी ज्ञापन भेजकर संत गुरमीत रामरहीम सिंह के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई और संत गुरमीत राम रहीम की फिल्म  मैंसेजर ऑफ गॉड-2  के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है।
:जो उस बाबा ने कहा वो बकवास है। प्रचार और सेवा के नाम पर जमीनों पर कब्जा करना उसका मुख्य काम है।
उसके अलावा भी उसके अवैध काम हो सकते हैं, जिसकी जांच की जानी चाहिए। उसने जो कहा है उसका विरोध करते हैं और कार्रवाई के लिए आंदोलन करेंगे।
-मेघराज तावड़, पूर्व विधायक, गोगुंदा
:जो आदिवासियों को सुधारने की बात करता है, वो आदिवासियों की संस्कृति अपनाकर पहले खुद सुधरे।
उसके बाद आदिवासियों को सुधारने की बात करें। आदिवासियों को लेकर की गई इस टिप्पणी पर कोटड़ा में जाकर आदिवासिायों को एकजुट करके आंदोलन किया जाएगा।
-वेलाराम, अध्यक्ष, भारतीय आदिवासी संघमम
:आदिवासी और आदिमानव में जिसको फर्क ही नहीं पता, वो आदिवासियों को सुधारने की बात कैसे कर सकता है? उसने अपना मान बढ़ाने के लिए आदिवासियों की इज्जत का मखौल उड़ाया है। इस संदर्भ में कार्रवाई नहीं हुई और फिल्म के प्रदर्शन को नहीं रोका गया, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
-अरविंद कोटेड़, अध्यक्ष, आदिवासी संघ मोर्चा

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