images (2)उदयपुर, पैगम्बर इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) के दामाद व उनके उत्तराधिकारी मौला आलीरूल मोमिनी मुश्किल कुशा हजरत अली (अ) के जन्म दिन (विलादत) गुरूवार को एक दिवसीय महफीले मिलाद का आयोजन किया गया।
अजन्ता होटल की गली स्थित शिया जामा मस्जिद में आयोजित मिलाद में पटना से आये हुज्जतुल इस्लाम मौलाना नामदार अब्बास सा. ने अपनी तकरीर में बताया कि खत्मे नबूवत के बाद जिस ओहदे का आगाज होता है उस ओहदे का नाम है। ’इमामत’ मजहबे शीआ के मुताबिक पैगम्बर हजरत मोहम्मद (सअ.) ने इरशाद फरमाया था कि मेरे बाद मेरे १२ जानशीन होगें और रसूल (स.अ.) अपनी जिन्दगी मे ही अपने आखिरी हज से लौटते वक्त मैदाने-गदीर में अपने जानशीन का एलान इन अलफ़ाज़ में कर दिया था कि ’’मन कुन्तो मौला, फा हाजा अलीयुन मौला’’ यानी मैं जिस का मौला हं, अली (अ.) उसके मौला है यानी सरपस्त हाकिम ओर रहबर है। आज उसी मौला रहबर और रसूल (स.अ.) के जानशीन की विलादत का दिन है और हर मुसलमान अपने रसूल (स.अ.) के इस वसी व जानशीन की विलादत की खुशी मनाना और इस खुशी के जश्न में शरीक होना अपना फर्ज समझता है।
उन्हीं अमीरूल मोमिनीन अली इब्ने तालिब (अ.) की विलादत के सिलसिले में एक महफिले का एहतेमाम किया है जहां तमाम शोअरा हजरात और मौलानाओं ने इस खुशी के मौके पर नजरान-ए-एकीदत पेश की और महपि*ल के आखिर में देश में अमन ओर चेन की दुआ मांगी गई।

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