कठोर से कठोर दिल भी पिघल जता है । अब वैज्ञानिकों को लगता है की वे इसका कारण जान गए है । शोध के अनुसार जब हम खुद को एक दुसरे की जगह रख कर सोचते है तो मस्तिक्ष का वह भाग निष्क्रिय सा हो जाता है जो निष्पक्ष एवं निष्ठुर विश्लेषण करता है । इससे स्पष्ट होता है कि बहुत समझदार लोग भी दर्द भरी कहानी से दुखी हो जाते है । केस वेस्टर्न यूनिवर्सिटी ओहिया के शोध करता एंथनी जैक ने ४५ लोगों पर यह शोध किया । उन्होंने कहा कि दूसरों के दर्द को महसूस करने वाली सोच और विश्लेष्णात्मक रुख एक दुसरे से अलग है तथा एक समय में दोनों एक तरह के विचार नहीं हो सकते यही वजह है कि जब आप विश्लेषण करते है तो दुसरे के दर्द को महसूस नहीं करते है और जब दुसरे के दर्द को महसूस करने कि कोशिश करते है तो विश्लेषण नहीं कर पाते ।

 

एक शोध में पता चला है कि सवास्थ जांच के लिए नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाने से गंभीर बीमारी होने कि सम्भावना तो कम नहीं होती है पर इससे अनावश्यक तनाव जरूर हो जाता है ।इसका मतलब है कि ४० से ७४ वर्ष के लोगों के लिए जो फ्री हेल्थ चैकअप होते है वह सिर्फ समय कि बर्बादी है । इसकी शुरुआत २००९ में इसलिए कि गयी थी ताकि ह्रदय रोग व् डायबटीज का समय रहते पता चल सके और कई जाने बचायी जा सके पर एक सर्वे में पता चला कई कि इसके बावजूद भी लोगों की म्रत्यु दर में कोई कमी नहीं आई है ।

 

साडे तीन हज़ार मीटर कि ऊँचाई पर तीन घंटे में चड़ने के बाद कोई भी पस्त हो जायगा पर यह एथलीट उनमे से नहीं है क्योकि इस कड़ी मेहनत के बाद उसने पहाड़ कि चोटी पर योग किया ।

स्लोवानिया कि मार्टिना कुफर ने ऐल्प्स कि पर्वत चोटी पर खुबसूरत नज़ारे के बिच योग कि सुन्दर मुद्राओं का प्रदर्शन किया । मार्टिना कि इन मुद्रओं को डर्बी शायर के फोटोग्राफर ल्युकास वर्जेशा ने केमरा में कैद किया है । ल्युकास ने ही मार्टिना को इस ट्रिप के लिए तैयार किया था । ल्युकास ने कहा था कि मार्टिना ने अपनी योग मुद्राओं को एक फोटो ब्लॉग पर डाली थी उसे देख कर मुझे एल्प्स कि खुबसूरत पहाड़ियों में योग के नज़ारे को कैमरा में कैद करने का विचार आया था ।

 

एक अमरीकी वैज्ञानिक ने ऐसा यंत्र बनाया है जो दिल कि धड़कन से पेस मेकर को चलाएगा । अगर यह कामयाब रहा तो पेस मेकर कि बैटरी बदलने के लिए बार बार ओपरेशन नहीं करना पड़ेगा । अभी इसका परिक्षण चल रहा है मिशीगन यूनिवर्सिटी के डॉ.अमीन करामी ने बताया । पेस मेकर इस्तमाल करने वालों के लिए यह तकनीक काफी फायदे वाली हो सकती है । यह मशीन पेस मेकर के लिए दस गुना से ज्यादा बिजली पैदा कर सकती है ।मिशीगन यूनिवर्सिटी कि शोध कर्ता दिल कि धड़कन का इस्तमाल ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में कर रहे है ।डॉ. अमीन करामी ने बताया कि ” पेस मेकर की बैटरी बदलने के लिए हर सात साल में ओपरेशन करना पड़ता है ।यह नया यंत्र पेस मेकर इस्तमाल करने वालों को इस तकलीफ से बचा जा सकता है ।

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