इंदौर कीर्ति राणा 

दैनिकभास्कर के ग्रुप एडिटर कल्पेश आत्महत्या कांड की कथित मुख्य आरोपी सलोनीअरोरा को गिरफ्तार करने में सफलता भी उसी के अंतरंग मित्र आदित्यचौकसे के कारण मिली है।पुलिस ने कल्पेश के द्वारा लिखे छह पेज के जिस गोपनीय पत्र को (आत्महत्या के बाद) मृत्युपूर्व लिखा कथन माना है, उस पत्र में इन्हीं आदित्य चौकसे के नाम का भी जिक्र है।
दैनिक भास्कर भवन की तीसरी मंजिल से कूद कर भास्कर के ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक की 12-13 जुलाई की रात संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, दूसरे दिन उनकी मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया गया, पुलिस के हवाले से बाकी अखबारों ने इसे आत्महत्या ही लिखा था। घटना के 22 दिन (पौन महीने) बाद गिरफ्तार हुई इस कांड से जुड़ी भास्कर की ही पूर्व पत्रकार सलोनी अरोरा के इस अंतरंग मित्र को पुलिस दल ने अपने साथ रखा था चूंकि उसे ही सलोनी के रिश्तेदारों, मुंबई के उसके संपर्कों तथा वह किन के साथ उठती-बैठती है यह सारी जानकारी थी। पुलिस ने इंदौर के अलावा रतलाम, नीमच आदि शहरों में उसके जिन भी रिश्तेदारों के यहां छापे मारे उस कार्रवाई में भी आदित्य का सहयोग रहा है।
अरोरा की तलाश में संबंधित थाने का पुलिस दल पिछले दस दिन से मुंबई में डेरा डाले हुआ था । टीआई दो दिन पहले इंदौर आ गए थे लेकिन दो उप निरीक्षक और पुलिस कर्मी वहीं थे।ये दल अपनी हर गतिविधि से इंदौर में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा रहा था।
एडीजीपी अजयदेवशर्मा ने इस प्रतिनिधि से चर्चा में कहा कि पुलिस पार्टी को शनिवार की शाम सात बजे के करीब सलोनी को हिरासत में लेने में सफलता मिली। पुलिस जांच दल उसे लेकर इंदौर के लिए रवाना हो गया है।रविवार की सुबह सात बजे तक ये लोग इंदौर पहुंच जाना चाहिए। हालांकि कल अवकाश है पर हमारी कोशिश रहेगी कि कल ही कोर्ट में चालान पेश कर दें। चूंकि सलोनी से इस पूरे मामले और मृत्युपूर्व कल्पेश ने जो गोपनीय पत्र दिया था, जिसे सुसाइड नोट मान रहे हैं उसे लेकर भी पूछताछ करना है इसलिए कोर्ट से सलोनी के रिमांड की मांग करेंगे।
गोपनीय पत्र कैसे हुआ सार्वजनिक ? 
घटना के बाद से तमाम मीडियाकर्मीक्राइमरिपोर्टर इस हाईप्रोफाइल केस के फालोअप को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संपर्क में थे लेकिन पुलिस ने कोई जानकारी देना तो दूर याग्निकपरिवार की इमेज धूमिल न हो जैसे कारण बताते हुए उस पत्र की भी गोपनीयता को भंग नहीं होने दिया। फिर आज अचानक वह चर्चित आडियो जिस में वह पांच करोड़ की डिमांड कर रही है और एडीजीपी को मृत्यु से पांच दिन पूर्व लिखा पत्र एक मीडिया पोर्टल पर वायरल हो गया। इस संबंध में पुलिस के आलाअफसरों से चर्चा की तो उनका कहना था हमें बताना होता तो आप को उसी दिन बता देते। हो सकता है उनके भाई (नीरज) या उनके वकील आदि ने किया हो, हमें तो आप से ही पता चला था कि फेसबुक पर उनके भाई ने पुलिस कार्रवाई को लेकर कुछ हताशा व्यक्त की है।
पुलिस ने सादे कपड़ों में बेटे का पीछा किया : गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने सादे कपड़ों में सलोनी के बेटे का पीछा किया। जैसे ही वह उससे मिलने पहुंची, उसे पकड़ लिया।डीआईजीहरिनारायणचारीमिश्र के मुताबिक पुलिस सलोनी का 15 दिन से पीछा कर रही थी। भाई, बहन, जीजा, दोस्तों सहित करीब डेढ़ सौ लोगों की कॉल डिटेल निकाली गई। इसी दौरान दिल्ली में रहने वाले मामा का नंबर हाथ लगा। उस नंबर को निगरानी में रखा गया तो पता चला सलोनी मेरठ में है।पुलिस वहां पहुंची, लेकिन एक दिन पूर्व ही वह दिल्ली होते हुए मुंबई पहुंच गई। उधर, पुलिस को जानकारी मिली थी कि सलोनी का बेटा मुंबई में अंधेरी स्थित नामी कोचिंग में पढ़ाई कर रहा है। पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में कोचिंग के बाहर खड़े रहे और बेटे की रेकी करने लगे।

ब्लेकमेलिंग की ऑडियो सुनाने के लिए विडियो देखिये 

 

कॉल रिकॉर्डिंग से पता चला कि सलोनी शनिवार को बेटे से मिलेगी। शाम को उसका बेटा कोचिंग से पनवेल के लिए रवाना हुआ। जैसे ही सलोनी उससे मिली, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।याग्निक की खुदकुशी के बाद भाई नीरज की शिकायत पर 20 जुलाई को पुलिस ने सलोनी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था।
यह कह रही है वह आडियो में
कल्पेश करुण कथा के दुखांत के कारण बने जिन आडियो की देश भर के मीडिया जगत में घटना वाले दिन से ही चर्चा रही है उस शृंखला का ताजा आडियो जो आज वायरल हुआ है( विस्तार से यूट्यूब पर सुन सकते हैं) उसमें जहां सलोनी के तेवर आक्रामक हैं वहीं कल्पेश की आवाज डरी सहमी तो है ही बातचीत के अंदाज से आभास होता है कि वे अपनीइमेज को लेकर बेहद सतर्क और उससे कहीं अधिक चिंतित भी हैं। सलोनी कह रही है आपने बहुत अच्छा काम किया मेरी जॉब लेकर… कल्पेश दबी आवाज मे कह रहे हैं मैंने आप का जॉब नहीं खाया , मेरी बात को समझिए तो सही। (इससे पहले के आडियो में सलोनी सिर्फ हां हूं करती सुनाई देती रही है) यह पहला ऐसा ऑडियो है जिसमें वह डराने वाली भाषा के साथ ही आक्रामक भी नजर आती है। जॉब जाने के बदले जहां वह पांच करोड़ की डिमांड कर रही है वहीं धमकी भरे लहजे में सलाह दे रही है तो फिर इसी वक्त भास्कर से रिजाइन कर दीजिए नहीं तो मैं यह बम फोड़ दूंगी, रिजाइन नहीं करेंगे तो स्लो पायजन तो है ही।
इस पूरे आडियो को सुनते हुए लगता है कि एक तरफ जहां कल्पेश को इन आडियो के वायरल होने पर घर-परिवार-संस्थान-समाज और देश के मीडिया जगत में अपनी प्रतिष्ठा गर्त में मिल जाने की चिंता है वहीं सलोनी को अपने कैरियर, महिला के नाते होने वाली बदनामी की रत्ती भर भी परवाह नहीं है। वह आडियो में कह रही है कल्पेश तुम्हें पता नहीं हैं ये सारा मसाला मैं तुम्हें बर्बाद करने के लिए लगे लोगों के हाथ मैं सौंप दूं तो इतना पैसा यूं ही मिल जाएगा। मुझे मेरा पद दिलाओ, सम्मान दिलाओ, मेरा लड़का है, तुम्हें उसकी चिंता नहीं है। मैं किसी को रिपोर्ट नहीं करूंगी, जब इच्छा होगी अखबार के अन्य परिशिष्ट के लिए लिखूंगी। तुम क्यों नहीं कर सकते…तुम्हें पता है बंगला, गाड़ी, शान की जिंदगी जीना मेरे लिए मुश्किल नहीं है, मुंबई नगरी में कई करोड़पति हैं मैं जिससे संबंध बना लूं यह सब आसानी से मिल जाएगा, रिलेशन में सब इंतजाम हो जाते हैं। मुझे किसी का नाम नहीं चाहिए….।
करीब चार मिनट के इस आडियो को सुनने के बाद इस पूरे कांड से नावाकिफ शख्स भी अपनी यही राय देगा कि इस औरत के तेवर सुन कर तो लगता है कि यह किसी भी हद तक गिर सकती है।और शायद यही कारण रहे कि 11 साल से उसके फोन कॉल्स अटैंड करने वाले कल्पेश पिता भूपतिलाल याग्निक निवासी 66 साकेत नगर जैसे चिंतक-विचारक-प्रखर पत्रकार ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि पति से त्रस्त जिस सलोनी की व्यथा सुन सुन कर वे द्रवित होते रहे, महिलाओं के सम्मान के लिए निरंतर लिखते रहने के साथ सलोनी भोला कलह को भी महिला सम्मान की रक्षा के लिहाज से प्रमुखता से सुनते और सलाह देते रहे, यह उसका इमोशनल अत्याचार था। यह बात भी उन्हें तब और सताने लगी जब निरंतर धमकियां देने वाली सलोनी ने यही सारे आडियो उनकी पत्नी-भाई आदि परिजनों को भी सेंड कर दिए। ऑफिस में ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी के तनाव के चलते, सलोनी की धमकियों के जवाब में कभी परिसर तो कभी परिसर से बाहर याचना भरे स्वर में लंबी चर्चा, इस सारे प्रकरण की पल पल की जानकारी एमडीकार्यालय तक पहुंचने से डाउन होती इमेज और प्रबंधन का बदलता व्यवहार, घर पर हर दिन बढ़ती कलह जैसे कारणों से उपजी गहन निराशा में उन्होंने हर दृष्टि से कार्यालय भवन की छत से कूद कर आत्महत्या करना ही उचित समझा।
इस कल्पेश करुण कथा में अब आगे क्या
यह पूरी लड़ाई तो छोटे भाई नीरयाग्निक को ही लड़ना है। मौत कि खबर को लेकर जो विरोधाभास सामने आया उससे कई बातें अखबार से जुड़े स्थानीय और अन्य संस्करणों के स्टॉफ को समझ आ चुकी थी। नीरज पर रामायण के पात्र भरत के रूप में कई जिम्मेदारी है। परिवार को संभालना, कोर्ट में लड़ना, यूं तो भाजपा में नीरज की भी खूब पहचान है लेकिन चुनावी साल में सबने अपना लाभ शुभ सोच लिया तो परेशानियां कम नहीं होगी। सरकार के स्तर पर नीरज को अब उतना सपोर्ट क्यों मिलेगा।
दूसरा पहलु : अभी तो पुलिस ने उस छह पेजी पत्र को आधार बना कर सलोनी अरोरा पर विभिन्न धाराएं लगाकर उसे गिरफ्तार किया है। #कोर्ट में चालान और केस डायरी पुटअप होने के बाद पुलिस के हाथ में कुछ नहीं रहेगा । पुलिस के पास अभी वही सारे सबूत हैं जो नीरज ने उपलब्ध कराए हैं। जिस तरह कोर्ट में तारीख-पेशी चलती रहेगी सलोनी अरोरा के वकील को भी सिद्ध करना होगा कि कल्पेश की आत्महत्या के लिए मेरी पक्षकार दोषी नहीं है। बहुत संभव है कि कल्पेश ने अपने पत्र में सलोनी से 11 साल से जिस जान पहचान का जिक्र किया है वही बात उसके पक्ष में चली जाए। अभी तो ये तीन चार आडियो ही सामने आए हैं यदि (जैसा कि पत्र में कल्पेश ने कहा है) 11वर्षों से फोन पर हुई चर्चा के आडियो बना रही थी तो खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए वह ऐसे आडियो भी पेश कर सकती है जो इस केस में कल्पेश का पक्ष कमजोर साबित कर सकते हैं।
और यह तीसरा पहलु आदित्य चौकसे
अभी तो आदित्य चौकसे ने सलोनी अरोरा को गिरफ्तार कराने में पुलिस की मदद कर दी है, बहुत संभव है कि पुलिस इसे सरकारीगवाह बना ले। यदि कोर्ट में आदित्य पलट गया तो? यह तो इसलिए महत्वपूर्ण है कि चर्चा यह भी है कि कल्पेश से तो सलोनी की टेलिफोनिक अंतरंगता ही सामने आई है आदित्य चौकसे से और अधिक निकटता है। जो सलोनी कल्पेश के आडियो बना सकती है उसके दिमाग में आदित्य को लेकर कुछ ना चल रहा हो यह संभव नहीं। उसे सरकारी गवाह बनते देख कोर्ट में यह पैंतरा भी चल सकती है कि पांच करोड़ की डिमांड वाला रास्ता उसने ही सुझाया था यह तय है कि भय्यूमहाराज के सुसाइड केस का खात्मा जितनी जल्दी हो गया था, यह केस उतना ही अधिक समय लेगा।

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