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उदयपुर । मंगलवार को लेकसिटी की माटी एक बार फिर शर्मसार हुई जब एक कब्र में दफ़न लाश को महज इस आरोप में कब्र से वापस निकाल दिया गया कि वह लाश सुन्नी मुसलमान की नहीं थी। मज़हब का हवाला देने वाले कुछ इंसानों की इस कारगुजारी ने आज इंसानी अहम के आगे इंसानियत को शर्मसार कर दिया और साथ ही अपने धर्म पर भी दाग लगा दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उदयपुर ( राजस्थान ) खांजीपीर निवासी 80 वर्षीय मोहम्मद युसुफ की सोमवार देर रात मृत्यु हो गई थी। मृतक परिजनों ने अश्विनी बाजार स्थित कब्रिस्तान में विधि-विधान से मृतक को दफना दिया। अंतिम संस्कार के बाद कब्रस्तान कमेटी के पदाधिकारी सहित कुछ लोग कब्रिस्तान पहुंचे तथा मृतक को सुन्नी मुसलमान नहीं होने का आरोप लगाते हुए हुए दफनाए शव को कब्र से बाहर निकालकर वाहन द्वारा मृतक के घर के बाहर सड़क पर छोड आए।
अचानक वापस लाए गए शव को देखकर परिजन स्तब्ध रह गए। मृतक मूल रूप से मंदसौर (मध्यप्रदेश) का निवासी था लेकिन पिछले 60 वर्षों से उदयपुर में ही निवासरत है। मृतक के पुत्र एडवोकेट हामीद कुरैशी ने बताया कि यह घटना सचमुच स्तब्ध करने वाली एवं अमानवीय है। लेकिन हम कानून-व्यवस्था बनाए रखने की दृष्टि से शव को लेकर अपने पैतृक शहर मंदसौर पहुंच गए है जहां मेरे पिता का पुन: दफ़न किया जाएगा। उन्होंने बताया कि साठ वर्षो से उदयपुर में रहते हुए समाज के सभी लोग हमारे हर काम में शामिल हुए और हम भी शामिल रहे लेकिन इस घटना ने हमें झकझोर कर रख दिया है। इस मामले में शहर का कोई भी मुस्लिम नेता या अंजुमन के पदाधिकारी कुछ बोलने से अपना पल्ला झाड़ते रहे। मौलाना और मुफ़्ती भी इस बारे में बोलने से बचते रहे । शहर के एक मुफ़्ती से ने इस घटना को सही करार दिया तो उनसे हवाला पूछा की इस्लाम की कोनसी किताब में ऐसा लिखा हुआ है तो वे भी इस बात का सबूतों के साथ जवाब नहीं दे पाये और उन्होंने यह कह कर फोन काट दिया कि में देख कर बताता हू।
बहरहाल मजहब की आड में हुई इस घटना ने मानवीय दृष्टि से मानवता को निश्चित रूप से शर्मसार किया है, जिस पर भविष्य में एक सार्थक बहस की जरूरत होगी।

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